आरबीआई ने 29 दिसंबर को अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि सितंबर 2022 तक बैंकों का ग्रॉस एनपीए बढ़ सकता है। बैंकों का ग्रॉस एनपीए बढ़कर 8.1 फीसदी पर आ सकती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोविड-19 का ग्लोबल इकोनॉमी पर असर पड़ा है।
देश में MSME सेक्टर में दबाव के संकेत मिल रहे है। ऐसे में MSME लोन पर नजर रखने की जरुरत है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने महामारी की चुनौतियां का अच्छी तरह से सामना किया है। कोरोना के बाद भी हमारी वित्तीय संस्थाएं अच्छी है। बैंकों की बैलेसशीट में मजबूती बरकरार है। पॉलिसी और रेगुलेटरी मदद से देश का वित्तीय बाजार स्थिति है। कोविड का दौरान भी भारत का एक्सटर्नल सेक्टर स्थिर रहा। यह अपने में बड़ी बात है।
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि घरेलू मोर्चे पर टीकाकरण में आई जोरदार तेजी के चलते इकोनॉमी की रिकवरी कोरोना के दूसरी लहर के झटके बाद एक बार फिर पटरी पर आती दिख रही है। हालांकि हाल में एक बार फिर रिकवरी की गति धीमी पड़ने के संकेत मिले है।
कॉर्पोरेट सेक्टर पर इस रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रेडिट ग्रोथ में सुधार के साथ ही कॉर्पोरेट सेक्टर में भी मजबूती आती दिख रही है। शेड्यूल कमर्शियल बैंकों (SCBs)का रिस्क वेटेड एसेट रेश्यो (CRAR) 16.6 फीसदी के नए हाई पर पहुच गया है जबकि सितंबर 2021 में इनकी प्रोविजनिंग कवरिंग रेश्यो (PCR)68.1 फीसदी पर रही है जो बैंकिंग सेक्टर के लिए एक अच्छा संकेत है।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 की दूसरी छमाही में ग्लोबल इकोनॉमी की रिकवरी की गति कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमीक्रोन के चलते कुछ सुस्त पड़ती नजर आई है। इसके अलावा सप्लाई चेन में आई दिक्कत और बढ़ते इन्फ्लेशन का असर भी ग्लोबल इकोनॉमी पर देखने को मिला है।
सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunch) पर Follow करें …