RBI Governor Shaktikanta Das
RBI Governor Shaktikanta Das

आरबीआई (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक की। जिसमें फिर ग्रोथ की जगह महंगाई को अहमियत देते हुए नीतिगत ब्‍याज दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बरकरार है। लोन महंगे नहीं होंगे और ईएमआई भी नहीं बढ़ेगी। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया था।

रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर यथावत रखने का फैसला

आरबीआई गवर्नर ने गुरुवार को बैठक के बाद फैसले की जानकारी दी। शक्तिकांत दास ने बताया कि एमपीसी की 6-8 अगस्त की बैठक में 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर यथावत रखने का फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी चार फीसदी पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है। दास ने बताया कि केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है। चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है।

क्‍या होता है रेपो रेट

आरबीआई सार्वजनिक, निजी और व्‍यावसायिक क्षेत्र की बैंकों को जिस ब्‍याज दर पर लोन देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट में कटौती होने पर उपभोक्‍ताओं को राहत मिलती है, लेकिन रेपो रेट बढ़ने पर मुश्किलें बढ़ जाती है। रेपो रेट में इजाफा होने पर बैंकों को कर्ज ज्‍यादा ब्‍याज दर पर मिलता है, जिससे लोन महंगा हो जाता है। लेकिन रेपो रेट कम होने पर लोन सस्‍ते हो जाते हैं।

गौरतलब हो कि जून में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.08 फीसदी पर पहुंच गई । ये खुदरा महंगाई का 4 महीने का उच्चतम स्तर है। वहीं, जून में थोक महंगाई दर 16 महीनों के ऊपरी स्तर 3.36 फीसदी पर रही है।

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