मुंबई, 19 अगस्त। रिजर्व बैंक ने कहा है कि अब देश इस आर्थिक सोच से काफी आगे निकल आया है कि निजीकरण ही हर मर्ज की दवा है, सरकारी बैंकों का धुआंधार तरीके से यानी हड़बड़ी में बड़े पैमाने पर निजीकरण करना ठीक नहीं होगा। ऐसा करने पर फायदे से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है. यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपने एक ताजा बुलेटिन में कही है।
गुरुवार 18 अगस्त को जारी इस बुलेटिन में आरबीआई ने देश के फाइनेंशियल सिस्टम में सरकारी बैंकों की भूमिका खुलकर तारीफ की है। साथ ही यह भी कहा है कि सरकारी बैंकों का एक मात्र मकसद अधिकतम मुनाफा कमाना नहीं होता। अगर देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के लक्ष्य को ध्यान में रखा जाए तो हमारे सरकारी बैंकों ने प्राइवेट बैंकों से कहीं बेहतर काम किया है। इतना ही नहीं, सरकारी बैंकों ने आर्थिक दबाव के बीच मॉनेटरी पॉलिसी को सफल बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रिजर्व बैंक के बुलेटिन में कहा गया है कि कोविड- 19 महामारी से उपजे हालात का सरकारी बैंकों ने काफी मज़बूती से सामना किया है। हाल ही के दिनों में सरकारी बैंकों के विलय से बैंकिंग सेक्टर का बड़े पैमाने पर कंसॉलिडेशन भी हुआ है। आरबीआई का मानना है कि हाल के सालों में देश के सरकारी बैंकों पर बाजार का भरोसा काफी बढ़ा है। ऐसे में इनका एकसाथ बड़े पैमाने पर निजीकरण करना नुकसानदेह साबित हो सकता है।
आरबीआई ने अपने बुलेटिन में लिखा है, “पब्लिक सेक्टर बैंक सिर्फ अधिकतम मुनाफा कमाने के मकसद से काम नहीं करते। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के जरूरी लक्ष्य को भी अपने कामकाज में जिस तरह से समाहित किया है, वैसा निजी क्षेत्र के बैंक नहीं कर पाए हैं। “आरबीआई का मानना है कि सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट की भले ही आलोचना का जाती हो, लेकिन उन्होंने कोविड- 19 महामारी का सामना बहुत बढ़िया ढंग से किया है।
हाल के दिनों में किए गए सरकारी बैंकों के विलय से सेक्टर का कंसॉलिडेशन भी हुआ है, जिससे ज्यादा मजबूत और प्रतिस्पर्धी बैंक उभकर सामने आए हैं। रिजर्व बैंक का मानना है कि अब देश इस आर्थिक सोच से काफी आगे निकल आया है कि निजीकरण ही हर मर्ज की दवा है। अब हम इस बात को मानने लगे हैं कि इस दिशा में आगे बढ़ते समय ज्यादा सावधानी और सोच- विचार से काम लेना जरूरी है।
रिजर्व बैंक के बुलेटिन में यह सारी बातें “प्राइवेटाइजेशन ऑफ पब्लिक सेक्टर बैंक्स एन अल्टरनेटिव पर्सपेक्टिव” नाम से प्रकाशित एक लेख में कही गयी हैं इस लेख की अहमियत इसलिए और भी बढ़ जाती है, क्योंकि सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने के संकेत देती रही है। 1 फरवरी, 2021 को पेश वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार IDBI बैंक के अलावा दो और सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करना चाहती है।
देखें का RBI Bulletin : RBI Buleetin August 2022
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