नई दिल्ली, 07 अगस्त। सहारा इंडिया (Sahara India) की दो परिवर्तनीय निवेश योजना सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशल लिमिटेड (SIRICL) एवं सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (SHICL) में देश के तीन करोड़ 8 लाख निवेशकों के 25 हजार 781 करोड़ 37 लाख रुपए फंसे हुए हैं। निवेशक अपने पैसों के लिए कंपनी के दफ्तरों के निरंतर चक्कर काट रहे हैं। निवेशकों ने सेबी (SEBI) और आरबीआई को भी आवेदन कर रखा है, लेकिन फंसी हुई रकम कब मिलेगी, इसका कोई जवाब नहीं है।
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इधर, संसद के चालू मानसून सत्र में सरकार से इस संदर्भ में सवाल किया गया था। सरकार से पूछा गया था कि क्या सहारा इंडिया समूह ने ’सेबी- सहारा रिफंड’ खाते में करोड़ों रुपये जमा किए हैं, वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर के संबंध में निवेशकों को पुनर्भुगतान के लिए सहारा इंडिया ग्रुप द्वारा सेबी को जमा की गई धनराशि की मात्रा कितनी है? सेबी द्वारा कितने निवेशकों की धनराशि वापस की गई है? निवेशकों की धन की वसूली सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि सहारा इंडिया समूह अन्य योजनाओं के निवेशकों को उन पर लगाए गए प्रतिबंध के कारण या निधि की कमी के कारण धन वापस नहीं कर रहा है?
केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधर ने यह जवाब प्रस्तुत किया :
“वैकल्पिक रूप से पूरी तरह से परिवर्तनीय डिबेंचर के संबंध में सहारा ने ’सेबी- सहारा रिफंड’ खाते में कुल 15,506.81 करोड़ रुपये (मूल राशि 25,781.37 करोड़ रुपये के खिलाफ) जमा किए हैं। सेबी ने 17,526 पात्र बॉन्डधारकों के संबंध में 48,326 मूल बॉन्ड प्रमाणपत्र/पास बुक के संबंध में एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से अंतरण के माध्यम से 138.07 करोड़ (अर्थात्, मूलधन के रूप में 70.09 करोड़ रुपये और ब्याज के रूप में 67.98 करोड़ रुपये) रुपये की कुल राशि का रिफंड किया।
उच्चतम न्यायालय द्वारा समय- समय पर जारी निर्देशों और इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएन अग्रवाल द्वारा दी गई सलाह के संदर्भ में, सेबी ने 28 मई, 2013 को एक प्रेस विज्ञप्ति और अगस्त- सितंबर 2014 और दिसंबर 2014 के महीनों के दौरान कई विज्ञापन जारी किए जिसमें रिफंड के लिए आवेदन करने हेतु इसकी क्रियाविधि के साथ आवेदन प्रक्रिया का विवरण दिया गया था। इन्हें सेबी की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था और एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल के बांडधारकों को भी सलाह दी गई थी कि वे अपने पैसे की वापसी के लिए सेबी को आवश्यक आवेदन करें। सेबी ने 26. 03. 2018 और 19. 06. 2018 को अंतिम विज्ञापन भी जारी किया जिसमें एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल के बांडधारकों को सूचित किया गया कि 02. 07. 2018 (कट- ऑफ तिथि) धनवापसी के लिए आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि है और कट- ऑफ तिथि के बाद कोई भी आवेदन स्वीकार्य/विचारार्थ नहीं होगा।
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इसके अलावा, सेबी ने 21.10.2021 को एक इंटरलोक्यूटरी आवेदन भी दायर किया है जिसमें इस मामले में उच्चतम न्यायालय से और निर्देश मांगे गए हैं और यह वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है। जहां तक सहारा इंडिया समूह अन्य योजनाओं के निवेशकों को वापस भुगतान करने में सक्षम नहीं है, यह सूचित किया जाता है कि एसआईआरसीईएल और एसएचआईसीएल के वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर के आरएचपी के तहत जुटाई गई मूल राशि 25,781.37 करोड़ रुपये, जिसके विरुद्ध सेबी- सहारा रिफंड खाते में केवल 15,506.81 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं और सेबी उन निवेशकों को मूलधन और व्याज के पुनर्भुगतान की सुविधा प्रदान कर रहा है, जिन्होंने एसआईआरसीईएल और एसएचआईसीएल के वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर में निवेश किया था।”
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