SBI ने गर्भवती महिओं को नौकरी के लिए अयोग्‍य करार देने वाला आदेश विरोध के बाद लिया वापस

बैंक ने कहा था कि ऐसी महिला बच्‍चे की डिलीवरी के 4 महीने बाद ही नियुक्ति ले सकेगी। इसके खिलाफ श्रमिक संगठनों और दिल्‍ली महिला आयोग ने कड़ा रुख अपनाया। चारों तरफ आलोचना के बाद बैंक ने शनिवार को यह विवादित आदेश ठंडे बस्‍ते में डाल दिया।

नई दिल्ली, 29 जनवरी। भारतीय स्टेट बैंक ने गर्भवती महिओं को नौकरी के लिए अयोग्‍य करार देने वाला आदेश भारी विरोध के बाद वापस ले लिया है। SBI ने दिसंबर में जारी एक सर्कुलर में 3 महीने से ज्‍यादा की गर्भवती महिला को नियुक्ति के लिए अस्‍थायी तौर पर अनफिट बताया था।

इसे भी पढ़ें : जासूसी सॉफ्टवेयर पोगासस पर नई रिपोर्ट, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर भारतीय लोकतंत्र को हाईजैक करने का लगाया आरोप

बैंक ने कहा था कि ऐसी महिला बच्‍चे की डिलीवरी के 4 महीने बाद ही नियुक्ति ले सकेगी। इसके खिलाफ श्रमिक संगठनों और दिल्‍ली महिला आयोग ने कड़ा रुख अपनाया। चारों तरफ आलोचना के बाद बैंक ने शनिवार को यह विवादित आदेश ठंडे बस्‍ते में डाल दिया।

SBI ने कहा, गर्भवती महिलाओं की भर्ती संबंधी पुराने नियम ही प्रभावी होंगे। इन मानकों में बदलाव के पीछे उसका उद्देश्य कई अस्‍पस्‍ट बिंदुओं को साफ करना था। दिल्‍ली महिला आयोग की अध्‍यक्ष स्‍वाती मालीवाल ने एसबीआई के नए नियम को महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण बताते हुए बैंक को नोटिस जारी किया था। उन्‍होंने इसे मातृत्‍व अधिकारों का हनन और कार्यस्‍थल पर भेदभाव बढ़ाने वाला नियम करार दिया।

इसे भी पढ़ें : बसों के अग्नि चेतावनी प्रणाली और अग्नि सुरक्षा प्रणाली के लिए अधिसूचना जारी

CPI के सांसद बिनोय विश्‍वम ने भी वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस कानून को वापस लिए जाने की अपील की थी। इसके अलावा आल इंडिया एसबीआई एम्‍प्‍लाइज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी केएस कृष्‍णा ने एसबीआई मैनेजमेंट को पत्र लिखकर नियम रद्द करने का दबाव बनाया था।

सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunchपर Follow करें …

  • Website Designing