बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने पिछले एक साल में अडानी समूह (Adani Group) द्वारा किए गए हरेक सौदे की बारीकी से जांच करेगा। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक समूह के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशों में सेबी की प्रारंभिक जांच के अतिरिक्त है। साथ ही अमेरिका की शॉर्ट सेलर कपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की भी स्टडी की जाएगी। सेबी तेजी से उन सभी लेन-देन की जांच कर रहा है जो अडानी समूह सूचीबद्ध स्थान में कर रहा है। हिंडनबर्ग द्वारा एक रिपोर्ट जारी करने के बाद अडानी समूह के शेयर भारी दबाव में आ गए हैं, जिसमें गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह पर स्टॉक हेरफेर और अपतटीय टैक्स हेवन के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया गया है। अडानी समूह ने रिपोर्ट को ‘आधारहीन’ और ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि वह अपने निवेशकों और शेयरधारकों को गहरा संकट देने के लिए कानूनी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में क्या है?
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कॉरपोरेट जगत दुनिया की सबसे बड़ी चोरी कर रहा है। पिछले तीन साल में गौतम अडानी की संपत्ति में तेजी से इजाफा हुआ। गौतम अडानी के स्वामित्व वाली कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन पर है। पिछले तीन साल में अडानी ग्रुप की 7 लिस्टेड कंपनी के शेयर का भाव औसतन 819% बढ़ा है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने हजारों डॉक्यूमेंट को स्कैन कर, आधे दर्जन देशों में विजिट करके ये दावा किया है। इसके साथ ही कहा है कि अडानी ग्रुप के शेयर के दाम 85% तक टूट सकते हैं। अडानी ग्रुप की कंपनियों पर कर्ज ज्यादा है, बहुत शेयर्स गिरवी हैं। 7 में से 5 ग्रुप कंपनियों का करंट रेश्यो 1 से कम है. मतलब लिक्विडिटी की समस्या है। 22 में से 8 उच्च अधिकारी अडानी परिवार के हैं। ग्रुप के फाइनेंसियल और मुख्य फैसलों पर उनका कंट्रोल है। कारोबारी सत्र के दौरान अडानी ग्रुप के सभी 10 शेयर लाल निशान पर ट्रेड करते दिखाई दिए।