कोरबा, 02 दिसम्बर। एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा से विद्युत संयंत्रों से अच्छी गुणवत्ता का कोयला नहीं मिल रहा है। इस संदर्भ में निजी विद्युत कंपनियों के एक प्रतिनिधि मंडल ने सोमवार को कुसमुंडा के महाप्रबंधक राजीव सिंह से मुलाकात की।

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विद्युत कंपनियों के प्रतिनिधि मंडल ने एसईसीएल कुसमुंडा पर घटिया कोयला आूपर्ति किए जाने का आरोप लगाया है। घटिया कोयले के कारण संयंत्रों के प्रदर्शन पर असर पड़ रहा है। कुसमुंडा जीएम से मिलने वालों में अदानी पॉवर, इंडिया बुल, एसकेएस, आरकेएम, डीबी पॉवर सहित अन्य कंपनियों लोग सम्मिलित थे।

प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि कुसमुंडा खदान से जी-11 ग्रेड का कोयला निकलता है, यह कहकर एसईसीएल ने पावर कंपनियों के साथ समझौता किया है। लेकिन वर्तमान में यहां से बेहद घटिया कोयला दिया जा रहा है, जो थर्ड ग्रेड जैसा है। इसमें कार्बन की मात्रा कम है। प्रतिनिधि मंडल ने जीएम को बताया कि रेलवे साइडिंग में पत्थर के बोल्डर और मिट्टी को कोयले में मिक्स कर कंपनियों को दिया जा रहा है जो चिंता का विषय है।

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पावर कंपनियों के प्रतिनिधि मंडल ने महाप्रबंधक को बताया कि कुसमुंडा से उन्हें जी-1 ग्रेड का कोयला कहकर दिया जाता है। जब इसकी जांच की जाती है तब इसमें कोयले की मात्रा 3 से 4 ग्रेड कम आ रहा है। वर्तमान में जी-8 या जी-7 ग्रेड का कोयला मिल रहा है। कई बार ऐसे माल भी कंपनियों तक पहुंच रहे हैं जिनकी कोई ग्रेडिंग नहीं है और इनकी क्वालिटी घटिया है।

प्रतिनिधि मंडल ने जीएम को बताया कि साइलो में बेल्ट से जाने वाले कोयले को निकालकर ऑटो सेंपल लिया जाता है। यह देखा जा रहा है कि रैक को बदलने से पहले बंकर को 70 फीसदी भरा जा रहा है और शेष 30 फीसदी कोयला कन्वेयर बेल्ट से डाला जा रहा है, जो नियम विरूद्ध है।

इस मसले को लेकर केएमकेए कंपनी ने एसईसीएल के कुसमुंडा प्रबंधन को घेरा है और कहा है कि यह कार्य त्रिपक्षीय समझौते के खिलाफ है। कंपनी ने प्रबंधन से पूर्व में हुए एमओयू के आधार पर ही कोयले की आपूर्ति करने की मांग की है।

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इधर, कुसमुंडा जीएम ने विद्युत संयंत्रों के प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया है कि घटिया कोयले की आपूर्ति की शिकायतें दूर कर ली जाएगी, इसके लिए गंभीरता से प्रयास होंगे।

source : patrika

 

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