कोरबा, 08 अगस्त। कोल इंडिया (CIL) की अनुषांगिक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की बंद पड़ी रजगामार एवं सिंघाली खदान पुनः उत्पादन में आएंगी। केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने खदान के पुर्नवैधीकरण (Revalidation) की सहमति के आवेदन को आगे बढ़ाया है। इसके तहत छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने आमजनों से आपत्ति और सुझाव मंगाए हैं।

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यहां बताना होगा कि एसईसीएल की कोरबा जिले में स्थित रजगामार की 6- 7 नम्बर खदान 10 वर्षों से बंद है। खदान में कोयला डिपॉजिट है। कोरबा क्षेत्र की इस खदान को पुनः उत्पादन में लाने की कवायद की गई थी। इसके लिए केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के समक्ष पुर्नवैधीकरण की सहमति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया था। इसी परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने 8 अगस्त, 2024 को विज्ञापन जारी कर खदान के पुर्नवैधीकरण के लिए आमजनों से आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। तीस दिवस के भीतर आपत्तियां और सुझाव प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद पुर्नवैधीकरण की मंजूरी दे दी जाएगी। रजगामार खदान का लीज क्षेत्रफल 3486.577 हेक्टेयर है। खदान की सालाना उत्पादन क्षमता 0.45 मिलियन टन है। यह खदान 1995 में उत्पादन में आई थी।

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इसी तरह एसईसीएल की कोरबा परियोजना की सिंघाली खदान को भी पुनः उत्पादन में लाया जाएगा। इस खदान के लिए भी पुर्नवैधीकरण का प्रमाण पत्र जारी करने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा आमजनों से आपत्तियां और सुझाव मांगे गए हैं। सिंघाली खदान का लीज क्षेत्र 862.289 हेक्टेयर है। इस खदान से भी 1995 में उत्पादन शुरू हुआ था।

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निजी कंपनी को सौंपी जाएगी खदान

बताया गया है रजगामार और सिंघाली खदान को पुर्नवैधीकरण का प्रमाण पत्र जारी होने के बाद इसका संचालन निजी कंपनियों को दिया जाएगा। एमडीओ मोड (MDO) और रेवेन्यू शेयरिंग आधार पर निजी कंपनी द्वारा खदान से कोयला उत्पादन किया जाएगा।

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