नेशनल मोनाइजेशन पाइपलाइन के तहत सरकारी संपत्तियों के मौद्रीकरण के फैसले का विपक्षी दलों सहित श्रमिक संगठनों द्वारा मुखालफत की जा रही है। इधर, भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बिनय कुमार सिन्हा ने कहा है कि सरकार देश को आश्वस्त करे कि जिस उद्योग की संपत्ति को मोनेटाइज किया जाता है, उस पैसे से उसी उद्योग को सरकार पुनर्जीवित करेगी।
इसके पहले बिनय कुमार सिन्हा ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के कारण महंगाई बेलगाम हो रही है और उससे निपटने में सत्ता में बैठे निर्णायक लोग लाचार होकर उलजलूल फैसले ले रहे हैं। एक जिम्मेदार श्रमिक संगठन होने के नाते भारतीय मजदूर संघ का यह धर्म है कि सरकार के फैसले के खिलाफ सड़क पर उतर कर उनकी गलत नीतियों का विरोध करें। सरकार ने 70 पीएसयू के मोनेटाइजेशन का जो फैसला लिया है वह मजदूर संघ को नीतिगत रूप से मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा था कि धन जुटाने के लिए सरकारी संस्थानों का मोनेटाइजेशन करना ‘गहना बेच कर घर चलाने’ जैसा है।
यहां बताना होगा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने 70 पीएसयू के मोनेटाइजेशन के फैसले के विरोध में 2 नवंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।
इधर, बीएमएस द्वारा मंहगाई के खिलाफ भी 9 सितंबर को मोदी सरकार के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा।
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