1. बंद हो चुकी खदान, मानिकपुर पोखरी को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेगा एसईसीएल

बीते वर्ष साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) द्वारा कोरबा जिले में अवस्थित मानिकपुर पोखरी को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2024 में इस परियोजना का क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा और पूरा हो जाने पर यह छत्तीसगढ़ राज्य में इस प्रकार का दूसरा ईको टूरिज्म साइट होगा। इससे पहले एसईसीएल द्वारा सूरजपुर जिले में स्थित केनापरा में भी बंद पड़ी खदान को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा चुका है जहां आज दूर-दूर से सैलानी घूमने और बोटिंग एवं अन्य गतिविधियों का लुत्फ लेने आते हैं। इस पर्यटन स्थल की प्रशंसा स्वंय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्वीट के जरिये कर चुके हैं।

इस परियोजना के तहत एसईसीएल नगर निगम कोरबा से साथ मिलकर जिले में स्थित मानिकपुर पोखरी को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 11 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करेगी। इस परियोजना के अंतर्गत बंद पड़ी मानिकपुर ओसी, जिसने एक पोखरी का रूप ले लिया है, को विभिन्न पर्यटन सुविधाओं से लैस एक रमणीक ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। पिछले वर्ष कंपनी द्वारा परियोजना के क्रियान्वयन के लिए चेक द्वारा कलेक्टर कोरबा को 5.60 करोड़ रुपए की राशि जारी की जा चुकी है।

2. नई FMC परियोजनाओं से पर्यावरण-हितैषी कोयला प्रेषण को मिलेगी गति

File Pic

कोयला उद्योग में सतत धरणीय विकास को बढ़ावा देने के लिए एसईसीएल द्वारा किए जा रहे प्रयासों में इस वर्ष और बल मिलेगा और कंपनी द्वारा इस वर्ष 4 एफएमसी परियोजनाओं की शुरुआत की जाएगी। एसईसीएल के दीपका क्षेत्र में दीपका साइलो, रायगढ़ क्षेत्र में छाल एवं बरौद सीएचपी तथा कुसमुंडा क्षेत्र में कुसमुंडा सेंट्रल इन-पिट कन्वेयर की शुरुआत की जाएगी। लगभग 1200 करोड़ से अधिक की लागत से बनी इन परियोजनाओं की मदद से प्रति वर्ष कुल 40 मिलियन टन से अधिक कोयला प्रेषण करने में मदद मिलेगी।

FMC परियोजनाएं :

दीपका साइलो (दीपका क्षेत्र)

  • क्षमता : 25 MT
  • लगत : 211 करोड़
  • विशेषताएं : 1. 3000 टन क्षमता के 2 आरसीसी साइलो, 2. 20000 टन क्षमता का एक आरसीसी बंकर, 3. 4500-8500 टन प्रति घंटा क्षमता का रैपिड लोडिंग सिस्टम

छाल सीएचपी (रायगढ़ क्षेत्र)

  • क्षमता : 06 MT
  • लागत : 173 करोड़
  • विशेषताएं : 1. 3000 टन क्षमता के 1 आरसीसी साइलो, 2. 10000 टन क्षमता का एक आरसीसी बंकर, 3. 4500-8500 टन प्रति घंटा क्षमता का रैपिड लोडिंग सिस्टम

बरौद सीएचपी (रायगढ़ क्षेत्र)

  • क्षमता : 10 MT
  • लागत : 216 करोड़
  • विशेषताएं : 1. 4000 टन क्षमता के 1 आरसीसी साइलो, 2. 20000 टन क्षमता का एक आरसीसी बंकर, 3. 5000-7500 टन प्रति घंटा क्षमता का रैपिड लोडिंग सिस्टम

कुसमुंडा सेंट्रल इन-पिट कन्वेयर (कुसमुंडा क्षेत्र)

  • लागत : 544 करोड़
  • विशेषताएं : 1. 40000 टन क्षमता के 2 आरसीसी बंकर, 2. कुल 10 किमी लंबाई के 2 कन्वेयर बेल्ट

3. गेवरा बन सकती है एशिया की सबसे बड़ी खदान

SECL GEVRA MINES
SECL GEVRA MINES

गेवरा खदान (Gevra Mines) द्वारा 50 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन हासिल कर देश की सबसे बड़ी खदान बनना वर्ष 2023 में एसईसीएल की बड़ी उपलब्धियों में एक से रही। इस वर्ष कंपनी का उद्देश्य गेवरा को एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनाने का है। कंपनी खदान विस्तार योजना के तहत गेवरा की वार्षिक उत्पादन क्षमता को 70 मिलियन टन करने के लिए पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। और इस वर्ष इन प्रयासों की सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है।

4. सीईडबल्यूआरएल रेल कॉरिडोर का कार्य पूरा होने की उम्मीद, सीईआरएल फेज़-2 की होगी शुरुआत

गत वर्ष एसईसीएल एवं समूचे कोयलांचल के लिए अत्यंत ही गौरव का क्षण रहा जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा खरसिया से धरमजयगढ़ के बीच 3000 करोड़ से अधिक की लागत से बने एसईसीएल के रेल कॉरिडोर को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इस वर्ष रेल कॉरिडोर परियोजनाओं के अन्य चरणों पर कार्य शुरू हो जाएगा। प्रमुख रुप से गेवरा रोड से पेंडरा रोड के बीच लगभग 5000 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे छत्तीसगढ़ ईस्ट वेस्ट रेल परियोजना के पूरे होने की उम्मीद है। वहीं धरमजयगढ़ से उरगा के बीच लगभग 1700 करोड़ की लागत से बन रहे छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर फेज़ 2 पर भी कार्य शुरू जाने की आशा है।

इन रेल परियोजनाओं से जहां इन क्षेत्रों में अवस्थित एसईसीएल की कोयला खदानों से देशभर में कम समय में कोयला पहुंचाने में मदद मिलेगी वहीं भविष्य में यात्री सुविधाओं के विकास से आदिवासी अंचल के लोग भी देश की मुख्य धारा से जुड़ पाएंगे।

5. सौर ऊर्जा परियोजनाओं को विकसित कर एक नेट-पॉज़िटिव कंपनी बनने के पथ पर आगे बढ़ेगा एसईसीएल

गत वर्ष ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए एसईसीएल द्वारा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास में तेज़ी लाई गई। गत वर्ष एसईसीएल के जोहिला, जमुना-कोतमा और कुसमुंडा क्षेत्रों में 580 किलोवाट क्षमता की रुफ-टॉप सौर परियोजनाओं से उत्पादन की शुरुआत हुई। इस वर्ष छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बहुल सरगुजा क्षेत्र के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में स्थित भटगांव और बिश्रामपुर क्षेत्रों में कंपनी द्वारा अपनी जमीन पर विकसित किए जा रहे 20-20 मेगावाट के ग्राउंड माउंटेड, ग्रिड कनेक्टेड सोलर परियोजनाओं से उत्पादन शुरू हो जाने की आशा है।

  • Website Designing