नई दिल्ली: कोरोना संकट के इस समय में सोने में निवेश का चलन बढ़ा है। आर्थिक अनिश्चितता के समय सोने में लोग बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पांचवीं सीरीज आज से सब्सक्रिप्सन के लिए खुल गई है। 3 अगस्त से लेकर 7 अगस्त तक यह निवेशकों के लिए खुला रहेगा। आरबीआई ने पांचवें चरण के लिए गोल्ड बॉन्ड की इश्यू प्राइस 5,334 रुपये प्रति ग्राम तय की है।
इस बॉन्ड के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने वालों और भुगतान करने वालों को प्रति ग्राम के हिसाब से 50 रुपये की छूट मिलेगी। ऐसे निवेशकों के लिए गोल्ड बॉन्ड की इश्यू प्राइस 5,284 रुपये प्रति ग्राम रह जाएगी। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2020-21 सीरीज-5 को सब्सक्राइब करने की आखिरी तारीख सात अगस्त है। गोल्ड बॉन्ड की पांचवीं किस्त ऐसे समय में सब्सक्रिप्शन के लिए खुल रही, जब इस साल सोने के दाम में 37 फीसद की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है और सोने की कीमत 54,000 प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच गई है।
जानें गोल्ड बॉन्ड स्कीम से जुड़ी कुछ खास बातें
- गोल्ड बॉन्ड की इस सीरीज को इश्यू करने की तारीख 11 अगस्त, 2020 होगी।
- भारत सरकार की ओर से आरबीआई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है।
- आरबीआई ने इस साल अप्रैल में एलान किया था कि इस साल अप्रैल से लेकर सितंबर तक सरकार गोल्ड बॉन्ड की पांच सीरीज जारी करेगी।
- गोल्ड बॉन्ड्स की अवधि आठ साल की होती है। इसमें पांचवें साल के बाद आपके पास एक्जिट का विकल्प होता है।
- गोल्ड बॉन्ड्स की बिक्री बैंकों, निर्धारित डाक घरों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और स्टॉक एक्सचेंजेज के जरिए सीधे तौर पर या उनके एजेंटों के जरिए होती है।
- इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन लिमिटेड की ओर से प्रकाशित पिछले तीन कारोबारी सत्र में 999 गुणवत्ता वाले सोने के दाम के सामान्य औसत के आधार पर इश्यू प्राइस जारी किया जाता है।
- कोई भी व्यक्ति न्यूनतम एक ग्राम का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है। वहीं, व्यक्तिगत निवेशक, अविभाजित हिन्दू परिवार एक वित्त वर्ष में अधिकतम चार किलोग्राम तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं।
गोल्ड बॉन्ड्स खरीदने के फायदे
- बता दें कि अगर आप निवेश के लिहाज से सोना खरीदने जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि गोल्ड बॉन्ड्स उससे बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इसकी वजह यह है कि आपको फिजिकल गोल्ड की सुरक्षा की चिंता करनी पड़ती है लेकिन गोल्ड बॉन्ड्स की सुरक्षा को लेकर कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं होती है। दूसरी ओर अगर आप सोने को लॉकर में रखते हैं तो उसके लिए आपको हर साल एक राशि देनी पड़ती है। गोल्ड बॉन्ड्स के संदर्भ में ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है।
- गोल्ड बॉन्ड्स पर आपको हर साल 2.50 फीसद का ब्याज मिलता है। वहीं, मेच्योरिटी पर अगर किसी तरह का लाभ होता है तो उसके लिए आपको किसी तरह का टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है।
लांग टर्म निवेशकों के लिए क्यों है बेस्ट
1. इसकी सबसे यूनिक क्वालिटी है कि इसमें सोने की कीमतों में इजाफे के अलावा भी आपको 2.5 फीसदी की दर से अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है।
2. मेच्योरिटी पर यह टैक्स फ्री होता है।
3. एक्सपेंस रेश्यो कुछ भी नहीं है।
4. भारत सरकार द्वारा समर्थित होने से डिफॉल्ट का खतरा नहीं होता है।
5. फिजिकल गोल्ड की बजाए मैनेज करना आसान और सेफ होता है।
6. इसमें एग्जिट के आसान विकल्प हैं।
7. गोल्ड बांड के अगेंस्ट लोन की सुविधा मिलती है।
8. यह HNIs के लिए भी बेहतर विकल्प है, जहां इसमें मेच्योरिटी तक होल्ड करने में कैपिटल गेंस टैक्स नहीं देना होता है। इक्विटी पर 10 फीसदी कैपिटल गेंस टैक्स लगता है।
9. इसमें प्योरिटी का कोई झंझट नहीं होता और कीमतें सबसे शुद्ध सोने के आधार पर तय होती हैं।
10.पिछले 10 साल या 15 साल की बात करें तो सोने ने लगातार अच्छा रिटर्न दिया है।
Source : goodreturns