नई दिल्ली, 07 फरवरी। भारतीय मजदूर संघ (BMS) के कोल प्रभारी एवं जेबीसीसीआई सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी की कथनी और करनी सामने आई है। रेड्डी कोयला कामगारों के 11वं वेतन समझौते में डीपीई के ऑफिस मेमोरेंडम को बाधा नहीं मान रहे थे। 19 फीसदी एमजीबी पर सहमति बनने से पहले और बाद में भी बीएमएस के कोल प्रभारी ने कहा कि डीपीई को लेकर अन्य यूनियन गुमराह करने का काम कर रहे हैं।
इसे भी पढ़ें : केन्द्रीय कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता बढ़ाने फॉर्मूला पर बनी सहमति
इधर, जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक के मिनट्स से खुलासा हुआ है कि रेड्डी किस तरह से डीपीई को लेकर अपनी बात रखी थी। बैठक के मिनट्स में के. लक्ष्मा रेड्डी के कथन उल्लेखित है। बिन्दु क्रमांक 7 में उन्होंने कहा था कि, जहां तक डीपीई के दिनांक 24.11.2017 के कार्यालय ज्ञापन के अनुपालन का संबंध है, जेबीसीसीआई- XI विचार-विमर्श जारी रख सकता है और NCWA- XI को अंतिम रूप दे सकता है। रेड्डी द्वारा यह भी कहा गया कि भारत सरकार का कोयला मंत्रालय ओएम (ऑफिस मेमोरेंडम) के अनुपालन की स्थिति और मामले पर आगे की आवश्यकता पर गौर कर सकता है।
रेड्डी के इस कथन से यह स्पष्ट होता है कि वे भी डीपीआई द्वारा 24.11.2017 को जारी कार्यालय ज्ञापन को वेतन समझौते में रूकावट से सहमत थे, लेकिन सार्वजिनक तौर पर उन्होंने डीपीई को मुद्दा मानने से इनकार किया और अन्य यूनियन के श्रमिक नेताओं पर आरोप मढ़ा कि वे डीपीई को लेकर कामगारों को गुमराह करने और अफवाह फैलाने का काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में वर्जन लेने के लिए industrialpunch.com ने के. लक्ष्मा रेड्डी से उनके मो. न. 9441455391 पर संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने रिस्पांस नहीं किया।
यहां बताना होगा कि लोक उद्यम विभाग (DPE) द्वारा कोयला कामगारों के लिए तय किए गए 19 फीसदी एमजीबी को लागू करने नियमों को शिथिल किया जाएगा या नहीं इसको संशय की स्थिति बनी हुई है। पूरा मामला डीपीई के कार्यालय ज्ञापन 24.11.2017 के निहित प्रावधानों के कारण लटक गया है। 3 जनवरी, 2023 को जेबीसीसीआई की 8वीं बैठक में 19 फीसदी न्यूनतम गारंटीड लाभ (MGB) देने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे। कोल इंडिया प्रबंधन ने कोल मंत्रालय को इस हेतु सिफारिश भेजी। कोल मंत्रालय ने 10 जनवरी को 19 फीसदी एमजीबी पर स्वीकृति प्रदान करने डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस (डीपीई) को प्रस्ताव प्रेषित किया। डीपीई की छूट के बगैर एमजीबी पर सहमति बना बनाई है और यही कारण है कि अब तक इसे लागू करने के लिए हरी झण्डी नहीं मिली है।
सूत्रों की मानें तो लोक उद्यम विभाग 19 फीसदी एमजीबी के लिए सहमत नहीं है। कहा जा रहा है कि डीपीई ने यदि इसके लिए सहमति दी तो दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों से भी इसी तरह की आवाज उठेगी। दूसरा यह कि डीपीई सीधे वित्त मंत्रालय के अधीन है। ऐसे में कोयला मंत्रालय डीपीई को निर्देश नहीं दे सकता है। इसके पहले कई बार ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं, जहां डीपीई ने कोल सेक्रेटरी रहे अनिल जैन जैसे लोगों की बात नहीं सुनी थी।
हालांकि कोयला मंत्रालय ने अपने संयुक्त सचिव भबानी प्रसाद पति को मामले को लेकर डीपीई के साथ लाइजिनिंग के लिए लगा रखा है, लेकिन अब कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है।
इसे भी पढ़ें : पुरानी पेंशन योजना, संसद में गूंजा सवाल, केन्द्र सरकार ने कहा- जोखिम भरा कदम
अधिकारियों के एक संगठन ने वेतन विसंगति को लेकर सवाल उठाते हुए पत्राचार भी किया है। इस संगठन का कहना है कि 19 फीसदी एमजीबी को डीपीई द्वारा स्वीकृत किया जाता है तो ग्रेड एक वन कोल कर्मियों का वेतन अधिकारियों के ग्रेड ई 4 से अधिक हो जाएगा। जबकि 10वें वेतन समझौते के बाद ग्रेड ए वन का वेतन ई 2 से कम था। कोल माइंस अफसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमओएआई) डीपीई की गाइडलाइन के निर्देशों का पालन करने की मांग कर रहा है। अफसरों के संगठन का कहना है कि गैर अधिकारियों का वेतन अधिकारियों से अधिक नहीं होना चाहिए। 19 फीसदी एमजीबी को स्वीकृति मिलती है तो गैर अधिकारियों के ग्रेड ए वन का बेसिक 71,031 हो जाएगा, जो कि अधिकारियों के ई 4 के बेसिक 70,000 से अधिक हो जाएगा। अधिकारियों के संगठन का कहना है कि वेतन विवाद खत्म नहीं किया तो यह उनके साथ अन्याय होगा।