Strike in coal sector : नई दिल्ली, 16 फरवरी। कोल सेक्टर में हड़ताल शुरू हो गई है। कोल इंडिया की अनुषांगिक कंपनियों में शुक्रवार की भोर से ही यूनियन के लोग हड़ताल को लेकर सक्रिय हो गए। एसईसीएल, एनसीएल, सीसीएल, एमसीएल, बीसीसीएल, डब्ल्यूसीएल में हड़ताल हो रही है। कुछ क्षेत्रों का हड़ताल का खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। उत्पादन के साथ कोयला परिवहन भी रोका गया है।
यहां बताना होगा कि 30 जनवरी को हड़ताल को लेकर ज्वाइंट एक्शन कमेटी (एचएमएस, इंटक, सीटू, एटक) ने सीआईएल प्रबंधन को 13 बिन्दुओं वाला चार्टर ऑफ डिमांड सौंपा था।
चार्टर ऑफ डिमांड में एमडीओ, रेवन्यू शेयरिंग के जरिए कोयला खदानों का निजीकरण करना, 9.4.0, कॉन्ट्रेक्ट एम्प्लायमेंट, लैंगिक भेदभाव को दूर करना, ठेका श्रमिकों के मुद्दे, खदानों को अनियमित रूप से बंद करना, रिक्तियों को भरना, पुनर्वास और कृषि के आश्रितों को रोजगार की गारंटी, सिकल सेल, पेंशन में बढ़ोतरी, सीएमपीएफ की गड़बड़ी की उच्च स्तरीय जांच, सीपीआरएमएस-एनई का मुद्दा, जस्ट ट्रांजिस्ट को सम्मिलित किया गया है।
देशव्यापी हड़ताल के ये हैं प्रमुख मुद्दे
यहां बताना होगा कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और केंद्रीय श्रम संगठनों (CTU) एवं महासंघों के मंच ने 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण बंद बुलाने का आह्वान किया है। संयुक्त मंच फसलों के उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), श्रमिकों को 26,000 रुपए की न्यूनतम मासिक मजदूरी, चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आईपीसी एवं सीआरपीसी में किए गए संशोधनों को निरस्त करने और रोजगार गारंटी को मौलिक अधिकार बनाने की मांग कर रहा है। श्रमिक संगठन रेलवे, रक्षा, बिजली, कोयला, तेल, इस्पात, दूरसंचार, डाक, बैंक, बीमा, परिवहन, हवाई अड्डों, बंदरगाह के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण नहीं करने की भी मांग कर रहे हैं।
ये हैं अन्य मांगे
अन्य मांगों में शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण रोकना, नौकरियों में संविदा नियुक्ति पर लगाम, निश्चित अवधि के रोजगार को खत्म करना, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिन कार्य और 600 रुपये की दैनिक मजदूरी के साथ मनरेगा को मजबूत करना, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना और संगठित एवं असंगठित दोनो क्षेत्रों में कार्यरत सभी लोगों को पेशन एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना शामिल है।