उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-नीट के माध्यम से स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए काउंसलिंग और वर्ष 2021-22 शैक्षणिक सत्र के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण पर अपना फैसला सुनाया।
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न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और ए.एस. बोपन्ना की खंडपीठ ने नीट-स्नातक तथा स्नातकोत्तर दाखिलों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 8 लाख रुपये की सालाना आय के मानदंड के औचित्य पर इस साल मार्च में फैसला करेगा।
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याचिकाकर्ताओं ने नीट-स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिल के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अखिल भारतीय कोटा में 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाली मेडिकल काउंसलिंग कमेटी की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती दी थी।
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