नई दिल्ली, 27 अप्रेल। कोल सेक्टर के इंटक (INTUC) नेता एसक्यू जमा एवं एचएमएस (HMS) के शिवकुमार यादव द्वारा बीएमएस को लेकर जारी किए गए बयानों पर प्रतिक्रिया आई है। भारतीय मजदूर संघ (BMS) के वरिष्ठ नेता एवं जेबीसीसीआई सदस्य सुरेन्द्र कुमार पांडेय ने industrialpunch.com से चर्चा करते हुए कहा कि बीएमएस को कोसना मर्यादा के विपरीत है।
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श्री पांडेय ने एसक्यू जमा द्वारा जारी एक लिखित स्पष्टीकरण का जवाब देते हुए कहा कि जेबीसीसीआई की 9वीं बैठक में संगठन की आंतरिक रणनीति के तहत उन्होंने बात रखने की शुरुआत की थी। जेबीसीसीआई की बैठक प्रारंभ होने के पूर्व बीएमएस के आठों सदस्यों ने तय किया था कि कौन क्या कहेगा। बैठक में बात रखने की शुरुआत उनके द्वारा (सुरेन्द्र पांडेय) की जाएगी, यह तय किया गया था। श्री पांडेय ने इस आरोप को गलत बताया कि के. लक्ष्मा रेड्डी के जेबीसीसीआई की बैठक में आने से पूर्व ही उनके द्वारा बीएमएस की ओर से बात रखी गई। सुरेन्द्र पांडेय ने कहा लक्ष्मा रेड्डी बैठक में प्रारंभ से ही उपस्थित थे और उनकी सहमति और अनुमति से ही उन्होंने बात रखने की शुरुआत की। जबकि प्रबंधन ने बोलने का पहला अवसर लक्ष्मा रेड्डी को दिया था।
सुरेन्द्र पांडेय ने एचएमएस नेता एवं जेबीसीसीआई सदस्य शिवकुमार यादव के उस बयान को बेतुका बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीएमएस चार्टर ऑफ डिमांड से बाहर जाकर अपनी बात रख रहा है। बीएमएस नेता ने कहा कि श्री यादव का यह कहना भी उचित नहीं है कि केवल सुरेन्द्र पांडेय और केपी गुप्ता की तकनीकी रूप से अपनी बात रखते हैं। श्री पांडेय ने कहा जेबीसीसीआई या अन्य किसी भी समिति में बीएमएस बोलता है न ही कोई व्यक्ति विशेष। बीएमएस में एक व्यवस्था चलती है।
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लक्ष्मा रेड्डी मेरे गुरु के समकक्ष
सुरेन्द्र पांडेय ने बीएमएस के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी को लेकर कहा कि वे मेरे गुरु के समकक्ष हैं। श्री रेड्डी जब बीएमएस के राष्ट्रीय महामंत्री थे तब मैं फेडरेशन का महामंत्री था। उन्होंने मुझे चार्टर ऑफ डिमांड कैसे तैयार किया जाता है यह सीखने के लिए दो माह के लिए विदेश भेजा था। श्री पांडेय ने कहा के. लक्ष्मा रेड्डी जी को तकनीकी बिन्दुओं की गहरी जानकारी है। वे लंबे समय तक बैंक, वस्त्र उद्योग आदि से जुड़े रहे हैं। कोई तकनीकी ज्ञान मुझे है उनको नहीं है ऐसा नहीं है। श्री रेड्डी संगठन में दूसरी और तीसरी लाइन तैयार करने की सोचते हैं और अवसर देते हैं।