आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए भारत का कोयला क्षेत्र लगातार नए मानक स्थापित कर रहा है। जनवरी 2025 तक, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कैप्टिव और वाणिज्यिक खदानों (captive and commercial mines) से कुल कोयला उत्पादन बढ़कर 150.25 मिलियन टन (एमटी) हो गया है।
यह 27 जनवरी, 2025 तक पिछले वित्त वर्ष के कुल उत्पादन 147.12 एमटी को पार कर गया है। यह वृद्धि तय समय से 64 दिन पहले हासिल हुई है। यह जनवरी 2024 के अंत में 112.08 एमटी से 34.05 प्रतिशत की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि दर्शाता है, जो भारत के कोयला उद्योग की मजबूती और तीव्र गति को रेखांकित करता है।
कोयला ढुलाई ने भी ऐसी ही सफलता हासिल की है। इस वित्त वर्ष में कुल ढुलाई 154.61 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है जो 11 जनवरी 2025 तक पिछले वित्त वर्ष के कुल 142.79 मीट्रिक टन को पार कर गया है। यह जनवरी 2024 में 115.57 मीट्रिक टन से 33.75 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है जो बिजली, इस्पात और सीमेंट सहित प्रमुख उद्योगों को निरंतर और निर्बाध कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
जनवरी 2025 में कोयला उत्पादन 19.20 मीट्रिक टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के साथ यह उपलब्धि कैप्टिव और वाणिज्यिक खदानों से अब तक का सबसे अधिक मासिक उत्पादन दर्शाती है। यह उपलब्धि जनवरी 2024 में 14.42 मीट्रिक टन से 33.15 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्शाती है।
इसी तरह जनवरी में कोयला ढुलाई बढ़कर 17.26 मीट्रिक टन हो गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में 32.45 प्रतिशत ज्यादा है। इससे औद्योगिक विकास के लिए आपूर्ति और अधिक सुरक्षित हो गई है।
कोयला मंत्रालय ने तीन नई खदानों-भास्करपारा, उत्कल ई, और राजहरा उत्तर (मध्य और पूर्वी) के लिए खदान खोलने की अनुमति प्रदान की है। उल्लेखनीय है कि फेयरमाइन कार्बन प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित राजहरा उत्तर (मध्य और पूर्वी) झारखंड की पहली वाणिज्यिक कोयला खदान है जिसे खदान खोलने की अनुमति मिली है। यह कदम कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन की भूमिका को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
कोयला मंत्रालय घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाने, आयात निर्भरता को कम करने और राष्ट्र के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता में अडिग है। यह क्षेत्र विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।