सिंगरौली, 04 सितम्बर। बुधवार को एनसीएल प्रबंधन और कोल इंडिया आईटीआई इम्पलाईज एसोसिएशन (CIITIEA) के बीच वार्ता हुई। इस दौरान 28 सूत्रीय मांगों पर चर्चा की गई।

यहां बताना होगा कि सीटू से सम्बद्ध सीटिया द्वारा एनसीएल प्रबंधन को 27 फरवरी, 2024 को 28 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया था और वार्ता कर समस्याओं के समाधान निकालने के लिए पत्राचार किया जा रहा था।

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एनसीएल प्रबंधन द्वारा इस पर संज्ञान लेते हुए चार सितंबर को वार्ता के लिए आंमत्रित किया गया। वार्ता बुधवार की सुबह 11 बजे से प्रारंभ हुई और दोपहर डेढ़ बजे तक चली। बैठक में सीटिया द्वारा 28 सूत्रीय मांग पत्र प्रस्तुत किया गया।

इस मांग पत्र में निम्न मांगे थीं : एक प्रतिशत वार्षिक लाभांश की घोषणा, एनसीएल में कार्यरत कर्मचारी की समयबद्ध पदोन्नति, नेहरू शताब्दी चिकित्सालय में आवश्यक सुविधाओं तथा डॉक्टर की जानकारी हेतु पूर्व की भांति चल रहे टोल फ्री नंबर या अन्य नया नंबर चालू करना, ओवर टाइम की सीलिंग समाप्त कर जितने घंटे ओवर टाइम कराया जाता है उसका भुगतान उसी माह करना, इंसेंटिव स्कीम सभी वर्गों के कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने वाली बनाना, संविदा कर्मियों को कंपनी अथवा संविदाकार द्वारा प्रत्येक माह वेतन पर्ची दिया जाना, एचईएमएम मशीनों के रखरखाव का कार्य विभागीय कर्मचारियों के माध्यम से कराया जाना और ऐसे कार्य में ठेका प्रथा बंद किया जाना, एचईएमएम मशीनों के मुख्य पार्ट सहित छोटे कलपुर्जों की गुणवत्तायुक्त उपलब्धता, सभी कर्मचारियों का पूरा डाटा ऑनलाइन करना, एनसीएल कृष्णशिला क्षेत्र में दिल्ली पब्लिक स्कूल या अन्य कोई भी अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ करना।

एनसीएल के महाप्रबंधक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध) के साथ 28 सूत्रीय मांग पर एक- एक कर चर्चा की गई। बैठक में सभी परियोजना के स्टॉफ अधिकारी (कार्मिक) सहित मांग पत्र से संबंधित सभी विभागाध्यक्ष भी मौजूद रहे।

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सीटिया की ओर से संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अजय शंकर श्रीवास्तव, एनसीएल जोन से संरक्षक आर टी राय, अध्यक्ष प्रकाश पटेल, महामंत्री अरविन्द कुमार शाह, संयुक्त महामंत्री प्रशांत सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष मूल शंकर, मीडिया प्रभारी सुशील पटेल, कोषाध्यक्ष विजय कुमार झा,संगठन मंत्री रामदयाल सिंह सहित सभी परियोजना/इकाई के अध्यक्ष, सचिव एवं उपस्थित रहे।

महामंत्री अरविंद कुमार शाह द्वारा प्रबंधन से कहा गया कि लंबित मुद्दों का निराकरण 15 दिवस के अंदर करने हेतु पहल की जाए।ज्ञ अन्यथा संगठन अग्रिम कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।

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