देश की अग्रणी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी टाटा मोटर्स अपने शॉप फ्लोर के कुल कर्मचारियों में 25 फीसदी महिलाएं शामिल करने का प्रयास कर रही है। इस बीच कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता देखकर अपने कर्मचारियों को नई तकनीक अपनाने के लिए प्रशिक्षित कर रही है और उनका कोशत बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
टाटा मोटर्स में पैसेंजर व्हीकल्स ऐंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में उपाध्यक्ष (एचआर) सीताराम कांडी ने कहा कि इस समय शॉप- फ्लोर पर 22 फीसदी महिला कर्मचारी है और नई भर्तियों के साथ इनकी हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी हो जाएगी।
पुणे के समीप पिंपरी में टाटा मोटर्स टीसीएफ-2 संयंत्र में शॉप फ्लोर पर पहले ही 1,500 महिलाएं काम कर रही हैं, जो दो स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) हेरियर और सफारी की असेंबलिंग करती है। कंपनी ने सभी विभागों में तकरीबन 5,000 महिलाओं को रोजगार दिया है।
2022-23 की सालाना रिपोर्ट में टाटा मोटर्स ने कहा है कि उसने 2030 तक अपने संगठन में महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर 30 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है।
कांडी ने कहा कि वाहन उद्योग में औसतन 10 से 12 फीसदी कर्मचारी कंपनी बदलते हैं मगर टाटा मोटर्स में यह आंकड़ा काफी कम है।
इस बीच इलेक्ट्रिक यात्री वाहन में बाजार की अगुआ टाटा मोटर्स ईवी और अन्य नई पीढ़ी की तकनीक पर ध्यान देते हुए कर्मचारियों को आवश्यक कौशल दिलाने और भविष्य के लिए तैयार करने के लिए व्यापक रणनीति पर काम कर रही है। इसने 13,000 प्रशिक्ष नियुक्त किए हैं और देश भर में इसके कर्मचारियों की संख्या 57,000 है।
टाटा मोटर्स का लक्ष्य अगले 5 साल में अपने 50 फीसदी श्रमबल को नए जमाने की ऑटो-टेक क्षमताओं वाला बनाना है। वित्त वर्ष 2023 में कंपनी ने कर्मचारियों के विशेष प्रशिक्षण और विकास में 3.40 लाख घंटे खर्च किए थे। अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने और कोशल बढ़ाने के लिए उसने पिछले साल 25 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं।
टाटा मोटर्स ने अपने कर्मचारियों के लिए पेशेवर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम चलाने के मकसद से बॉश, मेघवर्क्स, टाटा टेक्नोलॉजीज जैसे तकनीकी साझेदारों के साथ गठजोड़ किया है। इसने बीटेक, एमटेक और एक्जिक्यूटिव एमबीए पाठ्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालयों के साथ भी गठजोड़ किया है।
कांडी ने कहा कि फ्लोर तकनीशियनों के लिए खास तौर पर उच्च शिक्षा कार्यक्रम तैयार किए हैं, जिनसे वे ऑटो-इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रोनिक्स आदि में इंजीनियरिंग डिप्लोमा कर सकते हैं।
कोशल बढ़ाने के लिए विशेष तौर पर तैयार फंक्शनल ई-लर्निंग पाठ्यक्रम भी है। कांही ने कहा कि कई पुराने कर्मचारियों ने करीब दो दशक पहले बीटेक किया था। तब से अब तक वाहन उद्योग में कई तकनीकी बदलाव हुए है, इसलिए दक्षता बढ़ाना जरूरी हो गया है।
उन्होंने कहा कि कंपनी के कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि आईटीआई और 12वीं पास करने वालों के लिए भी प्रशिक्ष कार्यक्रम है, जिसमें अभी 13,000 सक्रिय प्रतिभागी शामिल हैं। इस पाठ्यक्रम से निकलने वाले प्रशिक्षु वाहन उद्योग में कहीं भी काम कर सकते हैं। पाठ्यक्रम को पूरा करने वाले करीब 88 फीसदी पहले ही टाटा मोटर्स चैनल पार्टनर्स के साथ काम कर रहे हैं।
हाल में अधिग्रहित फोर्ड इंडिया के साणंद संयंत्र में टाटा मोटर्स ने अपने 820 कर्मचारियों को कौशल दिलाने के लिए गुजरात के एक विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की है। साणंद में निकटवर्ती टाटा मोटर्स के संयंत्र के 600 कर्मचारियों में से करीब 110 कर्मचारी प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं।