कांग्रेस कार्यसमिति ने देश की राजनीतिक स्थिति की समीक्षा की है। कार्यसमिति ने देश के सामने मौजूद विभिन्न चुनौतियों और इन चुनौतियों से निपटने में मोदी सरकार की पूर्ण नाकामी पर गहरी चिंता जताई है। कार्यसमिति ने कहा है कि दरअसल मोदी सरकार ने हालात को बदतर कर दिया है और देश के लोगों पर बेइंतिहा बोझ पड़ा है।
कांग्रेस समिति ने देश में बाहरी और अंदरूनी सुरक्षा को लेकर भी गहरी चिंता जताई है। समिति ने कहा है कि लद्दाख में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के करीब 18 महीने गुजरने के बाद भी चीनी सेना का भारतीय क्षेत्र में कब्जा जारी है। कई दौर की बातचीत के बावजूद हम अपनी खोई हुई जमीन हासिल नहीं कर सके हैं। चीन का आक्रामक रवैया और पाकिस्तान की तरफ से निरंतर घुसपैठ के चलते जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के मोर्चे पर चिंताजनक हालात बन गए हैं।
कार्यसमिति ने कहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन और तालिबान के कब्जे के बाद से हालात और भी गंभीर हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार इस मामले में एकदम खामोश है। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों और आम नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है और सैनिक और निर्दोष नागरिकों की जान जा रही है। जम्मू-कश्मरी का प्रशासन पूरा तरह अक्षम साबित हुआ है और वहां एकदम नीतिगत लकवे की स्थिति है। इन हालातत से निकलने के लिए जम्मू-कश्मीर को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा देना और लोकातंत्रिक प्रक्रिया से चुनाव कराना एकमात्र समाधान है।
देश अन्य हिस्सों, खासतौर से असम, नगालैंड और मिजोरम में सुरक्षा का खतरा बढ़ गया है। अंतर-राज्यीय विवाद बढ़ रहे हैं जिससे लोगों, खासतौर से सीमावर्ती इलाकों में रहने वालों के बीच खौफ पैदा हुआ है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण नगा शांति वार्ता को झटका लगा है।
देश में ड्रग तस्करी में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। गुजरात के अडानी पोर्ट पर 3,000 किलो हेरोइन की बरामदगी और इन खबरों का आना कि वहां से भारी मात्रा में ड्रग्स देश में तस्करी किया गया है, चिंताजनक है और इस बात का सबूत है कि मोदी सरकार के शासन में इस गैरकानूनी कारोबार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
देश की अर्थव्यवस्था में निरंतर गिरावट बहुत बड़ी चिंता का कारण है। 2020-21 में अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के बाद, मोदी सरकार ने वी-शेप रिकवरी की बात की थी। लेकिन सभी संकेतक बताते हैं कि हर क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहा है। मंदी और महामारी के दौर में जो रोजगार और नौकरियां खोई हैं उनकी रिकवरी अभी तक नहीं हुई है। इस दौरान जो छोटे और मझे काम धंधे बंद हुए हैं, वे अभी तक नहीं खुल सके हैं। लाखों परिवारों पर रोजी-रोटी और महंगाई की दोहरी मार पड़ी है।
कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन काले कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन दस महीने से ज्यादा समय से जारी है। सरकार ने इस दौरान अहंकारी रवैया अपना रखा है और किसानों से बात तक करने से इनकार कर दिया है। इस दौरान पुलिस और बीजेपी के शरारती तत्वों ने किसानों को हिंसा में धकेलने की कोशिश की है। लखीमपुर खीरी में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना इस बात की मिसाल है कि कि सतरह किसानों की आवाज दबाने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। लखीमपुर खीरी में प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की मौत की निंदा तक न करना और मामले के आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री को बरखास्त न करने से पूरा देश सकते में हैं।
कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारियों को किसी भी स्थान की तलाशी लेने और गिरफ्तारी के लिए अधिकार देने वाली अधिसूचनाओं पर गंभीर चिंता जताई है। कांग्रेस ने इसे राज्यों की अनन्य शक्ति और राज्य पुलिस की शक्तियों पर एक खतरनाक अतिक्रमण बताया है। कांग्रेस पार्टी सभी हितधारकों और अन्य राजनीतिक दलों के साथ-साथ राज्य सरकारों से परामर्श करेगी और मोदी सरकार को इन अधिसूचनाओं को निरस्त करने के लिए मजबूर करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करेगी।
कांग्रेस कार्यसमिति ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर बेलगाम और अनियंत्रित राज्य प्रायोजित हमलों पर भी चिंता जताई है। कांग्रेस ने कहा है कि ये सब इन्हें डराने और उनके अधिकारों से वंचित करने की कोशिश है। कांग्रेस पार्टी ऐसे सभी तत्वों से साहसपूर्वक और निर्णायक रूप से लड़ेगी और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगी।
कांग्रेस ने कहा है कि देश की आर्थिक स्थिति भयावह है। पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए करों से जुटाए गए राजस्व पर सरकार चलाने में मोदी सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है। पार्टी ने कहा है कि वित्तीय हालात को काबू करने में नाकाम सरकार ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए 70 वर्षों में इस देश में निर्मित संपत्ति की बिक्री शुरू की है। मोटे तौर पर माना जा रहा है कि इन बिक्री के जरिए बंदरगाहों, हवाई अड्डों, पेट्रोलियम, बिजली और दूरसंचार जैसी मूल्यवान इन संपत्तियों को ऐसे चुनिंदा व्यापारिक घरानों को बेचा जाएगा जो मोदी सरकार के साथी हैं।
लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला मोदी सरकार के बेशर्म आख्यान को पूरा करता है। कांग्रेस कार्यसमिति ने कहा है कि भारत को अब एक लोकतंत्र के रूप में नहीं माना जाता है, बल्कि इसे एक चुनावी निरंकुशता वाले देश का स्तर अर्जित कर लिया है। संसद की अवमानना की जा रही है। न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में रिक्त पदों को न भरने से न्यायपालिका को कमजोर किया गया है। सूचना आयोग, चुनाव आयोग और मानवाधिकार आयोग जैसे स्वतंत्र प्रहरी निकायों को सिर्फ आभासी बनाकर रख दिया गया है। छापों और झूठे मामलों के माध्यम से मीडिया को सरकार के पक्ष में झुकने को मजबूर कियाजा रहा है।
गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को धमकाया जा रहा है और उनकी कल्याणकारी गतिविधियों को रोक दिया गया है। लोगों की आवाज दबाने के लिए सरकार की एजेंसियों का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया है। सरकार ने लोगों के जीवन में घुसपैठ करने के लिए गुप्त रूप से दुर्भावनापूर्ण स्पाइवेयर का उपयोग किया है। लोकतंत्र के हर पहलू का ह्रास हुआ है। कांग्रेस पार्टी देश को सर्विलांस और पुलिस स्टेट में बदलने की हर भयावह कोशिश का विरोध करेगी। मोदी सरकार के तहत, सभी के लिए स्वतंत्रता और न्याय का संवैधानिक वादा एक व्यर्थ आशा में सिमट गया है।
कांग्रेस कार्यसमिति का मानना है कि खतरे की घंटी बजाना उसका कर्तव्य है। समिति ने कहा है कि ऐसा करने के लिए हम सभी लोकतांत्रिक दलों और ताकतों से आह्वान करते हैं कि वे मोदी सरकार का डटकर विरोध करें ताकि उन मूल्यों की रक्षा की जा सके जिन पर हमारे देश की स्थापना हुई थी।
The CWC is deeply distressed to note the multiple challenges that face the country and the all-round failure of the Modi govt in dealing with these challenges.
Read below the CWC resolution on the political situation in the country:- pic.twitter.com/hExv8EixV4
— Congress (@INCIndia) October 16, 2021