देश में लगातार तीसरे वर्ष सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज की गई है। आर्थिक विभाग की भारतीय अर्थव्यवस्था समीक्षा की रिपोर्ट के अनुसार नियमित आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करने की भारत की प्रतिबद्धता से जलवायु परिवर्तन तथा कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए आवश्यक निवेश संबंधी संसाधन उपलब्ध हो पा रहे हैं।
भारत के वित्तीय क्षेत्र की अच्छी स्थिति का अनुमान लगाते हुए समीक्षा में कहा गया है कि 10 साल में सार्वजनिक क्षेत्र में पूंजी निवेश बढा है। वर्ष 2014 से ढांचागत सुधार लागू होने से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार, कारोबार करने में आसानी, कृषि क्षेत्र, ई-कॉमर्स तथा जलवायु के क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव हुए हैं।
महिलाओं के नेतृत्व में विकास में महत्वपूर्ण सुधार का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम जनधन योजना के अंतर्गत महिलाओं के बैंक खातों में वृद्धि हुई है। 2015-16 में महिलाओं के बैंक खातों का अनुपात 53 प्रतिशत से बढ़कर 2019-21 में 78.6 प्रतिशत हो गया है। महिला श्रमिकों की भागीदारी 2017-18 में 23 दशमलव तीन प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 37 प्रतिशत हो गई है। महिलाओं के शिक्षा स्तर में भी सुधार हुआ है। उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में महिलाओं का पंजीकरण 2005 में 24 दशमलव पांच प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 58.2 प्रतिशत हो गया है।
भारत की मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमाणीकरण तंत्र में बदलाव होने से ई-केवाईसी की लागत हजार रुपये से घटकर पांच रुपये हो गई है। अमरीका और ब्रिटेन के बाद भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी वित्तीय प्रौद्योगिकी अर्थव्यवस्था है। समीक्षा में यह भी कहा गया है कि भारतीय शेयर बाजार में घरेलू और वैश्विक निवेशकों की पूंजी बढ़ने से भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है।