नई दिल्ली, 23 जुलाई। मंगलवार को संसद में बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 800 मेगावाट क्षमता वाले एडवांस अल्ट्रा सुपर-क्रिटिकल (AUSC) थर्मल पावर प्लांट की स्थापना का ऐलान किया। यह विद्युत संयंत्र एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC) और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के संयुक्त उद्यम द्वारा स्थापित किया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस संयंत्र के लिए सरकार आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। यहां बताना होगा कि AUSC तकनीक को इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च, भेल और एनटीपीसी के संयुक्त अनुसंधान एवं विकास प्रयासों से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।

वर्तमान में भारत के थर्मल पावर प्लांट 32 प्रतिशत की औसत दक्षता पर काम करते हैं। AUSC तकनीक का उपयोग करके इस आंकड़े को 46 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसी उच्च दक्षता वर्तमान पावर प्लांट तकनीक में उपयोग किए जाने वाले 540-600 डिग्री सेल्सियस के बजाय 710-720 डिग्री सेल्सियस के उच्च भाप तापमान द्वारा प्राप्त की जाती है। अधिक दक्षता का मतलब है कि पावर प्लांट को प्रति मेगावाट-घंटे कम कोयले की आवश्यकता होती है, जिससे उत्सर्जन कम होता है। बीएचईएल के अनुसार, AUSC तकनीक सब- क्रिटिकल तकनीक की तुलना में कार्बन- डाइ- ऑक्साइड उत्सर्जन में 10- 15 प्रतिशत की कमी प्रदान करती है।

वर्तमान में, भारत में कुल 72 सुपरक्रिटिकल और 20 अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर यूनिट हैं। परियोजना का पहला चरण, जो अनुसंधान और विकास पर केंद्रित था, सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। दूसरे चरण में, केंद्रीय विद्युत मंत्रालय और एनटीपीसी के तत्वावधान में 800 मेगावाट AUSC प्रौद्योगिकी प्रदर्शन संयंत्र स्थापित किया जाएगा। भारी उद्योग मंत्रालय के अनुसार, प्रदर्शन संयंत्र छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सीपत में एनटीपीसी के मौजूदा संयंत्र का हिस्सा होगा। AUSC प्रौद्योगिकी का अब तक कहीं भी प्रदर्शन नहीं किया गया है, हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका (US), यूरोप, चीन और जापान इसका अध्ययन और विकास कर रहे हैं।

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