पूर्व सोवियत नेता मिखायल गोर्बाचॉफ का मॉस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। मीडिया की खबरों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था और वे गुर्दा रोग से पीडि़त थे।
रूस की समाचार एजेन्सी तास ने बताया है कि गोर्बाचॉफ को उनकी पत्नी राइसा की कब्र के पास ही मॉस्को के नोवोदेविची कब्रिस्तान में सम्मान के साथ दफनाया जायेगा।
गोर्बाचोफ सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने और 1985 में देश की सत्ता उनके हाथों में आ गयी। उस समय वे सत्तारूढ परिषद पोलित ब्यूरो के 54 वर्षीय सर्वाधिक युवा सदस्य थे।वर्षों के शीत युद्ध के बाद गोर्बाचोफ सोवियत यूनियन को पश्चिम के करीब लाने के सूत्रधार रहे।
1980 के दशक में गोर्बाचॉफ ने सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता और सूचना की स्वतंत्रता की नीति आरम्भ की । ये दोनों नीतियां ग्लासनोस्त और पेरेस्त्रोइका के नाम से प्रचलित हुई।
विश्व भर के नेताओं ने दिवंगत सोवियत नेता को श्रद्धांजलि दी है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एन्टोनियो गुत्रेस ने कहा है कि दुनिया ने एक महान नेता खो दिया है जो बहुपक्षवाद के लिए समर्पित था और शांति की पैरवी करता रहा।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गोर्बाचोफ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि गोर्बाचोफ महान और अदभुत नेता थे।
यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उरसला वोन डेर लेयेन ने गोर्बाचोफ की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे सम्मानित नेता थे जिन्होंने मुक्त यूरोप का मार्ग प्रशस्त किया।
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