बिलासपुर, 15 सितम्बर। कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषांगिक कंपनी एसईसीएल (SECL) के बिलासपुर स्थित मुख्यालय में पूर्व आईटीआई अप्रेंटिस प्रशिक्षुओं (Apprentice Trainees) एवं कर्मचारियों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। गुरुवार को भी अप्रेंटिस प्रशिक्षु मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर डटे हुए हैं और कर्मचारियों भीतर प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं। इस आंदोलन से एसईसीएल मुख्यालय का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
बताया गया है कि पूर्व आईटीआई अप्रेंटिस प्रशिक्षुओं को नियमितीकरण कराने का वादा कर यहां एकत्र किया गया है। बुधवार को ऋषि पटेल नाम के एक नेतानुमा युवक द्वारा प्रशिक्षुओं से रकम वसूली करते हुए एसईसीएल द्वारा उपयोग किया जाने वाला फॉर्म- बी भरवाया जा रहा था। फॉर्म- बी एक सरकारी दस्तावेज है और प्रबंधन द्वार इसे अधिकारिक तौर पर ही भरवाया जाता है। प्रशिक्षुओं के इस आंदोलन से एनएसयूआई भी जुड़ गया है। इधर, बताया गया है कि युवाओं का बरगला और भड़काकर नेता भाग गए हैं।
यह जानकारी सामने आई है जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा आंदोलनकारियों को मुख्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार से हटाने के लिए गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। बताया गया है कि कांग्रेस के कुछ नेता भी यहां पहुंच नेतागिरी की अपनी रोटी सेंक रहे हैं।
यहां बताना होगा कि एसईसीएल प्रबंधन द्वारा पिछले लगभग ढाई महीने में पांच बार पूर्व आईटीआई अप्रेंटिस प्रशिक्षुओं से बात की गई है। 5 अगस्त को सीएमडी एसईसीएल डॉ प्रेम सागर मिश्रा ने स्वयं प्रतिनिधि दल से बात की थी।
संसद के मानसून सत्र के दौरान कोयला मंत्री भारत प्रल्हाद जोशी ने स्पष्ट कर दिया था कि ट्रेड अप्रेंटिस का नियमितिकरण नहीं किया जा सकता है। अप्रेंटिस एक्ट 1961(यथा संशोधित 2014) में अप्रेंटिस प्राप्त प्रशिक्षुओं को नियमित किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। पूरे देश में सार्वजनिक उपक्रम इस प्रकार के अप्रेंटिस के प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हैं और इस सम्बंध में भारत सरकार के नियम स्पष्ट हैं। एसईसीएल में अप्रेंटिस कर चुके छात्रों के यथा लागू सभी देयताओं का भुगतान कर दिया गया है।
सीएमडी एसईसीएल से बैठक के पूर्व, अप्रेंटिस छात्र संघ, निदेशक तकनीकी संचालन- सह- कार्मिक के साथ कई दौर की बातचीत कर चुके हैं।
देश भर में बिजली संकट की चुनौतियों के बीच कोल-डिस्पैच के डिलीवरी ऑर्डर भी जारी नहीं हो सके। इनमें छतीसगढ़ राज्य में स्थित नॉन पावर व लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रदाय किए जाना वाला कोयला शामिल है।
इस आंदोलन से उत्पादन, डिस्पैच, मशीनीकरण से जुड़े टेंडरों/कॉंट्रैक्ट अवार्ड का काम प्रभावित हो रहा है। सामग्री प्रबंधन विभाग क्रय आदेश जारी नहीं कर पा रहा है। मुख्यालय के मुख्य द्वार के समक्ष प्रशिक्षुओं के डटे होने के कारण अधिकारी, कर्मचारी मुख्यालय में प्रवेष नहीं कर पा रहे हैं। मुख्यालय का संचालन ठप होने से कोयले का उत्पादन व डिस्पैच भी प्रभावित होने की आशंका है।
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