चंद्र ग्रहण ज्योतिष के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। साल 2021 का अंतिम चंद्र ग्रहण 19 नवंबर, 2021 दिन शुक्रवार को लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण सदी का सबसे लंबा समय तक रहने वाला चंद्रग्रहण बताया जा रहा है। धर्मशास्त्रों में ग्रहण को अशुभ माना गया है। मान्यता है कि ग्रहण के समय में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत क्षेत्र और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में नजर आएगा। 19 नवंबर, 2021 को लगने वाला यह चंद्रग्रहण 580 साल बाद सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यह पूर्वोत्तर में भारत के कुछ राज्यों में दिखाई देगा। यह साल 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण होगा। इसके पहले आखिरी बार इतना लंबा चंद्र ग्रहण 18 परवरी, 1440 को लगा था।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने कहा कि आंशिक चंद्रग्रहण 18 और 19 नवंबर को होगा। आंशिक चंद्रग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की हल्की सी छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है। नासा का कहना है कि पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर कुछ घंटे तक बनी रहेगी। अगर मौसम ने साथ दिया तो जहां-जहां पर चंद्रमा निकलता है, वहां-वहां पर यह अद्भुत खगोलीय नजारा देखने को मिलेगा।
कितनी देर का होगा चंद्र ग्रहण
इस आंशिक चंद्र ग्रहण की शुरुआत दोपहर 12.48 बजे होगी और यह शाम 4.17 बजे खत्म होगा। अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ क्षेत्रों में चंद्रोदय के ठीक बाद आंशिक ग्रहण के अंतिम क्षणों का अनुभव होगा, जो पूर्वी क्षितिज के बहुत करीब रहेगा। इस आंशिक चंद्र ग्रहण की अवधि 3 घंटे 28 मिनट और 24 सेकेंड होगी। पिछली बार इतना लंबा आंशिक चंद्रग्रहण 18 फरवरी 1440 को हुआ था और अगली बार इसी तरह का चंद्रग्रहण 8 फरवरी 2669 में देखा जा सकता है।
जानिए कितने तरह का होता है चंद्र ग्रहण
1. पूर्ण चंद्र ग्रहण : जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है। उस समय पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है और चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक मान्य होता है। इसे सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है।
2. आंशिक चंद्र ग्रहण : जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में पूरी तरह नहीं आती, ऐसे में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। आंशिक चंद्र ग्रहण बहुत ज्यादा समय का नहीं होता, लेकिन इसमें सूतक मान्य होता है।
3. उपच्छाया चंद्र ग्रहण : जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में पूरी तरह से नहीं आ पाते, तो सूरज की रोशनी का कुछ हिस्सा पृथ्वी की आड़ से चांद तक नहीं पहुंच पाता और चंद्रमा की बाहरी सतह को पृथ्वी कवर कर लेती है। इसे ही उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है। उपच्छाया ग्रहण के दौरान चांद मटमैला सा नजर आता है। इसमें सूतक काल मान्य नहीं होता है।
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