नई दिल्ली, 05 जून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण के लिये भारत का प्रयास बहु-आयामी रहा है जबकि जलवायु परिवर्तन में उसकी भूमिका नगण्य है।
आज विश्व पर्यावरण दिवस पर नई दिल्ली में मृदा संरक्षण आंदोलन पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित देश न केवल धरती के अधिक से अधिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, बल्कि वे सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन के लिए भी जिम्मेदार हैं।
श्री मोदी ने कहा कि भारत ने निर्धारित समय से पांच महीने पहले पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे और एक सूर्य और एक ग्रिड सहित विभिन्न सरकारी योजनाएं पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं। उन्होंने कहा कि पहले किसान मिट्टी की गुणवत्ता के प्रति जागरूक नहीं थे। इस बारे में उन्हें जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया और मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए। अब तक 22 करोड से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को दिए जा चुके हैं। इस वर्ष के केंद्रीय बजट में गंगा नदी के किनारे बसे गांवों में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने की घोषणा की गई।
श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने यह भी घोषणा की है कि गंगा नदी कॉरिडॉर में प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहित किया जायेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने मिट्टी के संरक्षण के लिए पांच मुख्य उपायों पर ध्यान केंद्रित किया है। ये हैं – मिट्टी को रसायन मुक्त करना, उसके जैविक अवययों की रक्षा करना, नमी बनाये रखना, भूमिगत जल की कमी से होने वाले नुकसान को दूर करना और वन क्षेत्र में कमी के कारण लगातार हो रहे मृदा क्षरण को रोकना।
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