नागपुर। लम्बी सेवा से रिटायर होने के बाद लोग सामान्यतः आराम करते हैं.पर, कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं, जिनकी सक्रियता दूसरों के लिए प्रेरक उदाहरण साबित होती है.इसी क्रम में हाल ही, एक दस्तावेजी क्रियाशीलता दिखी – “आसमां में सुराख़” पुस्तक के रूप में.इसमें प्रकृति के विरुद्ध कोयला कर्मियों की जद्दोज़हद और सीमाओं से कहीं आगे जा कर राष्ट्र की ऊर्जा-सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका रेखांकित की गयी है.
सुखद आश्चर्य के रूप में,इस कड़ी में लेखक का नाम है राजीव रंजन. चौंकियेगा नहीं, आपको बताते चलें कि और कोई नहीं, ये वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) के भूतपूर्व सीएमडी हैं.
कोल इंडिया की विभिन्न अनुषंगी कंपनियों में गुरुतर दायित्व निभा चुके राजीव रंजन अपने इस लेखकीय सफ़र के आग़ाज़ को कोयला उद्योग से उन्हें प्राप्त आत्मीयता और समर्थन से उऋण होने की विनम्र कोशिश भर मानते हैं.
24 घंटे में ही अमेजन पर बेस्ट सेलर की लिस्ट में शुमार “आसमां में सुराख़” पुस्तक में आपको अक्स दिखेगा नीधूरानी मिस्त्री (वर्कशॉप में कार्यरत), पूजा समर्थ (एक्सकेवेटर ऑपरेटर), मीनाक्षी (शावेल ऑपरेटर) और आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली इनकी तरह अन्य हुनरमंद हाथों का, जिन्हें हम नारी शक्ति के नाम से जानते हैं.
इस पुस्तक में आप जीवंत और जांबाज़ पुरुष किरदार भी पायेंगे, जिनके मज़बूत कंधों पर कोयला उद्योग की भव्य इमारत टिकी है और ये सभी रात दिन लगे हैं देश की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति में.
उल्लेखनीय है कि 31 दिसंबर 2020 को वेकोलि के CMD पद से सेवानिवृत्त राजीव रंजन की प्रथम पुस्तक “असंभव संभव ” का विमोचन संतरा नगरी नागपुर में जनवरी 2021 के द्वितीय सप्ताह में सुप्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ वेद प्रकाश मिश्र के हाथों हुआ था.
उनकी इस दूसरी पुस्तक को भी पाठकों ने हाथों-हाथ लिया है.