नई दिल्ली, 27 अप्रेल। तमाम प्रयासों के बावजूद इंटक (रेड्डी गुट) से सम्बद्ध राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन की कोल इंडिया की मानकीकरण एवं समितियों में एंट्री नहीं हो पा रही है। 24 अप्रेल की सुनवाई में कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने इंटक को राहत देने से इनकार कर दिया है।
कोल इंडिया (CIL) की मानकीकरण समिति सहित अन्य सब समितियों में इंटक (रेड्डी गुट) को प्रतिनिधित्व देने की मांग वाली याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने 24 अप्रेल को सुनवाई की। जस्टिस अरिंदम मुखर्जी ने इंटक को राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश ने 17 मई तक विरोधी पक्ष को शपथ पत्र एवं आवेदक को 14 जून जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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यहां बताना होगा कि एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 फरवरी, 2023 को इंटक (रेड्डी गुट) से सम्बद्ध राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन का कोल इंडिया की जेबीसीसीआई- XI में प्रवेश देने का फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद इंटक को जेबीसीसीआई में एंट्री मिली थी। जेबीसीसीआई की अंतिम बैठक के बाद सीआईएल प्रबंधन ने इससे संबंधित मानकीकरण समिति का गठन किया था, लेकिन इसमें इंटक का सम्मिलित नहीं किया गया था। दरअसल हाईकोर्ट का फैसला केवल जेबीसीसीआई- XI की बैठकों में इंटक को सम्मिलित किए जाने को लेकर था। इस कारण सीआईएल ने मानकीकरण समिति में इंटक को जगह नहीं दी।
मानकीकरण सहित अन्य समितियों में सम्मिलित किए जाने को लेकर इंटक (रेड्डी गुट) ने फिर से कलकत्ता हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी।
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इंटक के ददई दुबे गुट ने भी सीआईएल की कमेटियों में प्रतिनिधित्व की मांग को लेकर अदालत का रूख किया था। इधर, ललन चौबे ने भी राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन का असली दावेदार बताते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी।
बताया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट में इंटक विवाद से जुड़े मामलों के लंबित होने को लेकर सीआईएल की अन्य समितियों में इंटक को स्थान नहीं मिल पा रहा है। दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि भारतीय मजदूर संघ के दबाव के कारण कोल इंडिया प्रबंधन द्वारा इंटक को समितियों से दूर रखा गया था।