देश के कोयला निकासी अवसंरचना को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) ने महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स परियोजनाओं के विकास को तेजी से आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक रणनीति की घोषणा की है। यह पहल माननीय प्रधानमंत्री के “एकीकृत नियोजन और समन्वित समयबद्ध कार्यान्वयन” के विजन के अनुरूप है, जो विकसित भारत 2047 के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
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देश के ऊर्जा परिदृश्य में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, मंत्रालय लॉजिस्टिक्स से जुड़ी बाधाओं को कम करने के लिए कटिबद्ध है, जो वर्तमान में कुशल कोयला परिवहन में बाधा डालती हैं। मंत्रालय इस उद्देश्य के लिए, रेल मंत्रालय, राज्य सरकारों और विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि अवसंरचना परियोजनाओं की समय पर प्रगति को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित और हल किया जा सके। इस सहयोगी दृष्टिकोण से प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और विकास के लिए अधिक अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने की अपेक्षा है।
कोयला निकासी अवसंरचना परियोजनाओं के मुख्य उद्देश्य
- उपलब्धता: पर्याप्त कोयला लोडिंग और निकासी अवसंरचना
- नेटवर्क के युक्तिकरण के माध्यम से कुल लॉजिस्टिक्स से जुड़ी लागत, लोडिंग और परिवहन का इष्टतम इस्तेमाल करना
- आधुनिकीकरण: उन्नत अवसंरचना, एआई, ड्रोन, सेंसर और नवाचार के उपयोग के साथ प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना
- एकीकरण: परस्पर जुड़े मल्टीमॉडल नेटवर्क और हरित परिवहन पहलों को बढ़ावा देना
- कुशलता: उत्पादन स्थलों से उपभोक्ताओं तक कोयले की समय पर और लागत प्रभावी आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए लॉजिस्टिक्स और परिवहन प्रणालियों में सुधार
- समावेशिता: सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को संबोधित करके समावेशिता को बढ़ावा देना
मुख्य पहलें
- उत्पादन क्षमता को बढ़ाना : यह सुनिश्चित करके कि अवसंरचना उत्पादन वृद्धि के साथ तालमेल बनाए रखे, वित्त वर्ष 30 तक 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पादन के लक्ष्य का समर्थन करना।
- रेल परिवहन में मॉडल बदलाव: वित्त वर्ष 2030 तक कोयले के लिए रेल परिवहन के मॉडल हिस्से को 64 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करना, जिससे सड़क की भीड़ कम हो और पर्यावरणीय स्थिरता बढ़े। मंत्रालय ने 38 प्राथमिकता वाली रेल परियोजनाओं की पहचान की है, जिन्हें रेल मंत्रालय के साथ निकट समन्वय में तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। ये परियोजनाएं रेल संपर्क में सुधार और देश भर में बिजली संयंत्रों और उद्योगों को समय पर कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- अनिवार्य मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग सुविधाएं: प्रति वर्ष 2 मिलियन टन से अधिक उत्पादन करने वाली सभी बड़ी कोयला खदानों को अगले पाँच वर्षों के भीतर मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग सुविधाओं को उपलब्ध कराना होगा। इस कदम का उद्देश्य परिचालन दक्षता को बेहतर बनाना, सुरक्षित कार्य परिस्थितियां सुनिश्चित करना और कोयला परिवहन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।
- एकीकृत अवसंरचना विकास: पीएम गति शक्ति पहल के जरिये मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने से निर्बाध कोयला निकासी के लिए विभिन्न मंत्रालयों में समन्वित प्रयास को सुनिश्चित करना।
- स्थायित्व और पर्यावरणीय विचार: मंत्रालय कोयला निकासी के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने तथा भारत के जलवायु लक्ष्यों के साथ संरेखित स्वच्छ प्रौद्योगिकीयों और प्रथाओं को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
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अपेक्षित परिणाम
कोयला मंत्रालय रणनीतिक नियोजन और निष्पादन के माध्यम से देश के कोयला क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए समर्पित है। अवसंरचना के विकास में तेजी लाकर और हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर, मंत्रालय का उद्देश्य भारत को टिकाऊ कोयला उत्पादन और लॉजिस्टिक्स में अग्रणी बनाना है, जिससे 2047 तक एक समृद्ध और विकसित राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त हो सके।