भारतीय मजदूर संघ भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय श्रमिक संगठन है। इसकी स्थापना भोपाल में महान विचारक स्व. दत्तोपन्त ठेंगड़ी द्वारा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के जन्मदिवस 23 जुलाई, 1955 को हुई।
भारत के अन्य श्रम संगठनों की तरह यह किसी संगठन के विभाजन के कारण नहीं बना वरन एक विचारधारा के लोगों का सम्मिलित प्रयास का परिणाम था। यह देश का पहला मजदूर संगठन है, जो किसी राजनैतिक दल की श्रमिक इकाई नहीं, बल्कि मजदूरों का, मजदूरों के लिए, मजदूरों द्वारा संचालित अपने में स्वतंत्र मजदूर संगठन है। स्थापना के पश्चात द्रुत गति से उन्नति करते हुए आज यह देश में सर्वाधिक सदस्य संख्या वाला मजदूर संगठन है।
वर्ष 1967 में बीएमएस की सदस्य संख्या दो लाख 36 हजार 902 थी। 1984 में हुए सत्यापन में 12 लाख 11 हजार 355 सदस्य संख्या के साथ बीएमएस देश का दूसरा सबसे बड़ा श्रमिक संगठन बना। 1996 में 31 लाख 17 हजार 324 की सदस्यता के साथ भारतीय मजदूर संघ ने भारत के सबसे बड़े श्रमिक संगठन का ओहदा प्राप्त किया।
बीएमएस की पहुंच देश के समस्त राज्यों और 44 उद्योगों तक है। एक करोड़ से अधिक सदस्यता तथा पांच हजार से अधिक सम्बद्ध यूनियन के साथ बीएमएस देश का पहले नम्बर का केन्द्रीय श्रमिक संगठन बना हुआ है।
भारतीय मजदूर संघ की स्थापना से पहले मजदूर संगठन राजनीतिक पार्टियों से सम्बन्धित थे तथा पार्टी के मजदूर संगठन के रूप में कार्य करते थे। प्रारम्भ में अन्य मजदूर संगठनों का विरोध तथा व्यंग्य भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं को सहना पड़ता था, लेकिन भारतीय मजदूर संघ ने एक गैरराजनीतिक श्रमिक संगठन के रूप में अपना कार्य प्रारंभ किया तथा आज भी उसी सिद्धांत पर कायम है। कोई भी राजनीतिक नेता इसका पदाधिकारी नहीं है तथा इसका कोई भी सदस्य राजनीतिक चुनाव न भारतीय मजदूर संघ ने अन्य मजदूर संगठनों से हटकर कई नये नारे तथा विचार श्रमिकों के सामने रखे। “भारत माता की जय” का उद्घोष पहली बार श्रमिक आन्दोलन में हुआ।
भारतीय मजदूर संघ के कुछ सूत्र इस प्रकार हैं :
- देश हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम।
- नया जमाना आयेगा, कमाने वाला खिलायेगा।
- बीएमएस की क्या पहचान, त्याग-तपस्या और बलिदान।
- राष्ट्र का औद्योगिकीकरण, उद्योगों का श्रमिकीकरण, श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण
17 सितम्बर विश्वकर्मा जयंती को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना तय किया गया। भारतीय मजदूर संघ का मानना है कि भगवान विश्वकर्मा दुनिया के पहले शिल्पकार थे, इसलिए उनकी जयंती से बढ़कर श्रमिकों के लिए कोई और मजदूर दिवस नहीं हो सकता।
भारतीय मजदूर संघ के कुछ महत्वपूर्ण सोपान हैं :
- 1967 में सरकारी कर्मचारियों सहित सभी श्रमिकों के लिए बोनस की मांग करने वाला प्रथम श्रमिक संगठन।
- 1969 में ही साम्यवाद के पतन की घोषणा करने वाला प्रथम सामाजिक संगठन।
- 1989 में ही आर्थिक साम्राज्यवाद के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने वाला प्रथम संगठन।
- 1999 में रोजगार बढ़ाने की मांग करने वाला एकमात्र केन्द्रीय श्रम संगठन।
- विदेशी आर्थिक आक्रमण के एकमात्र विकल्प- स्वदेशी का अनुसरण के उद्देश्य से स्वदेशी जागरण
आज भी भारतीय मजदूर संघ विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) का पूर्ण रूप से विरोध तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार से मांग कर रहा है।
यह देश का एकमात्र ऐसा केन्द्रीय श्रम संगठन है जो किसी भी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन से सम्बद्ध नहीं है और न ही कोई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता लेता है। 1996 से देश के पहले क्रमांक के केन्द्रीय श्रम संगठन के नाते भारतीय मजदूर संघ अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सम्मेलनों में भारतीय श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है।
भारतीय मजदूर संघ ने- भारतीय श्रम शोध मण्डल, सर्वपंथ समादर मंच, विश्वकर्मा श्रमिक शिक्षा संस्था व पर्यावरण मंच जैसे सहयोगी संगठनों की भी स्थापना श्रमिकों के हित में की है।
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