नई दिल्ली, 18 मई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने होल्डिंग/मूल सार्वजनिक उपक्रमों के निदेशक मंडल को विनिवेश (रणनीतिक विनिवेश और अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री दोनों) अथवा अपनी सहायक कंपनियों/इकाइयों को बंद करने/संयुक्त उद्यमों में हिस्सेदारी की सिफारिश करने और वैकल्पिक तंत्र को अतिरिक्त अधिकार सौंपने के लिए प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार प्रदान किए जाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।
मंत्रिमंडल ने वैकल्पिक तंत्र को विनिवेश (रणनीतिक विनिवेश और अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री दोनों)/सहायक कंपनियों/इकाइयों को बंद करने/होल्डिंग/मूल सार्वजनिक उपक्रमों के संयुक्त उद्यमों में हिस्सेदारी की बिक्री के लिए ‘सैद्धांतिक’ अनुमोदन प्रदान करने का भी अधिकार प्रदान किया है, जिसमें महारत्न सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश (अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री को छोड़कर) शामिल नहीं है, जो उन्हें मूल/ होल्डिंग सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा विनिवेश की प्रक्रिया की समीक्षा के लिए प्रदान किए गए थे।
सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा अपनाए जाने वाले रणनीतिक विनिवेश लेन-देन/बंद करने की प्रक्रिया खुली होनी चाहिए, जो प्रतिस्पर्धी बोली के सिद्धांतों पर आधारित हो और निर्धारित किए जाने वाले मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुरूप हो। रणनीतिक विनिवेश के लिए ऐसे मार्गदर्शक सिद्धांत निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) द्वारा निर्धारित किए जाएंगे। सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) की ओर से बंद करने के बारे में मार्गदर्शक सिद्धांत जारी किया जाएगा।
फिलहाल, होल्डिंग/मूल सार्वजनिक उपक्रमों के निदेशक मंडल को महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न श्रेणियों के तहत वित्तीय संयुक्त उद्यम और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों की स्थापना के लिए इक्विटी निवेश करने एवं निवल संपत्ति की एक खास सीमा के आधार पर विलय/ अधिग्रहण करने से संबंधित कुछ खास अधिकार सौंपे गए हैं। हालांकि, महारत्न सार्वजनिक उपक्रमों को उनकी सहायक कंपनियों में शेयरधारिता के अल्पांश हिस्सेदारी के विनिवेश के लिए दिए गए कुछ सीमित अधिकारों को छोड़कर, बोर्ड के पास अपनी सहायक कंपनियों/इकाइयों/संयुक्त उद्यमों में हिस्सेदारी के विनिवेश/बंद करने का अधिकार नहीं है।
इसलिए, होल्डिंग/मूल केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा विनिवेश (रणनीतिक विनिवेश और अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री दोनों)/उनकी सहायक कंपनियों/ इकाइयों को बंद करने या संचालन संबंधी आकार से भिन्न किसी संयुक्त उद्यम में उनके हिस्से की बिक्री/इस तरह की सहायक कंपनियों, आदि में लगाई गई पूंजी के संदर्भ में कैबिनेट /आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की मंजूरी की आवश्यकता थी। नई सार्वजनिक उपक्रम नीति, 2021 की भावना के अनुरूप, सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों की उपस्थिति को कम करने और कार्यात्मक आवश्यकता के लिए, इस निर्णय के माध्यम से इस मामले में अतिरिक्त अधिकार प्रदान किए गए हैं।
इस प्रस्ताव का उद्देश्य होल्डिंग सार्वजनिक उपक्रमों के निदेशक मंडल को निर्णय लेने के लिए अधिक स्वायत्तता प्रदान करके और सहायक कंपनियों/इकाइयों या संयुक्त उद्यमों में अपने निवेश से समय पर सिफारिश करके सार्वजनिक उपक्रमों के कामकाज में सुधार करना है, जिससे वे ऐसी सहायक कंपनियों/इकाइयों/संयुक्त उपक्रमों को उचित समय पर या अपनी घाटे में चल रही और अक्षम सहायक कंपनियों/इकाई/संयुक्त उद्यम को सही समय पर बंद कर अपने निवेश का मौद्रीकरण करने में सक्षम होंगे। इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा शीघ्र निर्णय लेने और बेकार के परिचालन/वित्तीय व्यय की बचत होगी।
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