केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रशिक्षण कर्मियों का प्रमुख ध्यान 2-क्यू यानी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता और मात्रा पर केंद्रित होना चाहिए।
श्रमिक शिक्षा दिवस मनाने के लिए आयोजित एक समारोह में अपने संदेश में भूपेंद्र यादव ने कहा कि देश भर में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का एक कैलेंडर होना चाहिए, जिसमें स्थानों, प्रक्रियाओं, लक्ष्य समूह, विषयों और समय को दर्शाया गया हो।
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श्रमिक शिक्षा दिवस कार्यक्रम का आयोजन श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय, दत्तोपंत थेंगडी राष्ट्रीय श्रमिक शिक्षा और विकास बोर्ड द्वारा किया गया था।
मंत्री ने बोर्ड से उसके द्वारा आयोजित सभी प्रशिक्षणों का विश्लेषण करने के लिए एक चार्टर विकसित करने के लिए भी कहा।
भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने श्रमिकों के लाभ के लिए श्रम सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई 4 श्रम संहिताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ये श्रम संहिताएं देश में पूरे 50 करोड़ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का कानूनी अधिकार प्रदान करती हैं।
उन्होंने कहा कि इसी तरह, श्रम को एक सुरक्षित और संरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य संहिता के तहत कई उपाय किए गए थे और सामाजिक सुरक्षा संहिता एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करती है। श्री यादव ने कहा कि औद्योगिक संबंध संहिता एक पारदर्शी विवाद समाधान तंत्र प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि श्रम कानून, नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच आपसी सहयोग और सद्भाव का माहौल तैयार करते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि श्रम सुधार देश में सकारात्मक और विश्वास आधारित कार्य संस्कृति स्थापित करेंगे।
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केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री ने मंत्रालय के राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल पर जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया क्योंकि यह रोजगार और प्रशिक्षण से संबंधित सूचनाओं का एक प्रमुख भंडार है।
उन्होंने बोर्ड को श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण के बारे में विवरण शामिल करने के लिए भी कहा। पोर्टल का लक्ष्य देश में पहली बार 38 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों का डेटाबेस तैयार करना है।
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