भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक सरकार के स्वामित्व वाली एनटीपीसी लिमिटेड आयातित कोयले की वजह से अपनी ईंधन लागत में प्रति यूनिट 7-8 रुपये तक का इजाफा दर्ज करेगी। वहीं घरेलू खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से घरेलू तौर पर कोयला खरीदने से उसकी लागत 2 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ सकती है। बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार इससे एनटीपीसी दर 50-70 पैसे तक बढ़ जाएगी, जिसका विद्युत उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ेगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से बताया कि घरेलू कोयले की किल्लत से केंद्र को कोयला अनुबंध करने की जरूरत बढ़ी है, जो घरेलू कोयला के मुकाबले कम से कम 200 प्रतिशत महंगा है। खासकर रूस-यूक्रेन युद्घ की वजह से वैश्विक मुद्रास्फीतिकारी दबाव से वैश्विक बाजारों में कोयले की कीमतें बढ़ी हैं।
एनटीपीसी मौजूदा घरेलू आपूर्ति के साथ शुष्क ईंधन के 10 प्रतिशत मिश्रण के लिए करीब 2 करोड़ टन आयातित कोयले के लिए ऑर्डर जारी करने की प्रक्रिया में है। कंपनी का आयात लक्ष्य केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के निर्देश के बाद बढ़ गया है। घरेलू कोयला भंडार देश में विद्युत मांग पूरी करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए पिछले सप्ताह केंद्र ने सभी राज्यों और विद्युत उत्पादन कंपनियों को मॉनसून शुरू होने से पहले कोयला आयात करने के निर्देश दिए।
विद्युत मंत्रालय ने बिजली उत्पादन कंपनियों को चेताया है कि यदि इस महीने के अंत तक वे कोयले का आयात नहीं करती हैं तो कोयला मिश्रण मानक मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाएगा। निर्देश में यह भी कहा गया है कि यदि मिश्रण 15 जून तक शुरू नहीं हुआ तो कम क्षमता वाले ताप संयंत्र घरेलू कोयला आवंटन 5 प्रतिशत तक घट जाएगा।
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