वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Vedanta Chairman Anil Agarwal) ने अपनी मां के संदर्भ में एक भावनात्मक पोस्ट किया है। अनिल अग्रवाल की मांताजी हॉस्पिटल में दाखिल हैं और उनकी स्थिति क्रिटिकल है। उन्होंने अपनी मां को एक फाइटर बताते हुए कहा कि उनसे स्टज्ञग मैंने किसी को नहीं देखा। अनिल अग्रवाल द्वारा मां को लेकर लिखा गया पोस्ट :

मेरी माँ एक फाइटर हैं और उनसे स्ट्रॉन्ग मैंने किसी को नही देखा।

नब्बे साल से ज्यादा उम्र है और हर दिन को दिल से जीना जानती हैं। लंदन में, जहां वे मेरे साथ पिछले बीस साल रहने आती रही हैं, वे नए कपड़े पहनने, नए रेस्टोरेंट में जाने नए लोगों से मिलने, एक्सपीरियंस लेने में सबसे आगे रहीं हैं।

कुछ सप्ताह पहले वे अपनी नवजात प्रपौत्री से मिलने मुंबई आईं। दुर्भाग्य से, विजिट के दौरान वे गंभीर रूप से बीमार हुईं और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा। अभी भी, जब डॉक्टर्स ने बताया है की उनकी कंडीशन क्रिटिकल है, वो हमें पहचान रही हैं और मुझे देख कर उनके चेहरे पर संतुष्टि की चमक आ जाती है।
जब भी मैं उनसे मिलने जाता हूँ, तो वे आंखें खोलकर हाथ उठाती हैं, और कहती हैं, ‘सब ठीक है, तुम काम पर जाओ’।

आईसीयू में चुपचाप उनके सिरहाने बैठे, मैं याद कर रहा हूं पटना के अपने बचपन के दिन। मैं बहुत छोटा था, तो बाबूजी उन्हें महीने के सिर्फ 400 रुपये देते और वो सारे खर्चे संभाल लेती, मकान का किराया, चार बच्चों को संभाल लेती, पड़ोसियों की मदद करती और घर पर आने और रहने वाले मेहमानों की देखभाल भी करती।

उन्हें हमेशा अपने देश से प्यार रहा है और उन्होंने हमें उसी तरह की परवरिश भी दी है। मुझे याद है कि वे हमें देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी से मिलने सदाकत आश्रम ले गई थीं, और जयप्रकाश नारायण जी से भी, जो हमारे घर के नजदीक ही रहते थे। मुझे यह भी याद है कि वे हमें पटना में आयोजित ‘कांग्रेस अधिवेशन’ में ले गई थीं और तय किया था कि हम सभी खादी पहनें। मुझे याद है कि जब पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु हुई थी, तो वे कितनी रोई थीं। मुझे यह भी याद है कि उन्होंने हमें लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में बताया था, जिन्होंने देश को एक दिन का उपवास करने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि देश में सभी को अनाज मिल सके। उन्होंने उनका पालन किया और हमसे भी करवाया।

सिर्फ उनके कारण ही हम हमारे कल्चर, ट्रेडिशन और धर्म से जुड़े रह सके हैं।

मेरी माँ दूसरों का हमेशा ख्याल रखतीं हैं। मुझे कई बार आश्चर्य होता कि , किस तरह ब्रिटिशर्स सहित वे आसपास के लोगों का दिल जीत लेती, भले ही वे अंग्रेजी बोलने में उतनी सहज नहीं हों।

लोगों के साथ वे इतनी कंफर्टेबल कैसे हो जाती हैं, मुझे नहीं पता। लेकिन, मैं बस इतना जानता हूँ कि वह एक बहुत ही खास इंसान हैं जिन्होंने ना सिर्फ मेरे और पूरी फैमिली के जीवन को छुआ है बल्कि उन सभी लोगों की लाइफ को एनरिच किया है जिन्हें वे जानती हैं।

मां! मुझे अभी आपसे बहुत कुछ सीखना है।

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