आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के लिए बाजार नियामक सेबी के पास विवरणिका का मसौदा (डीआरएचपी) जमा करा चुकी स्टरलाइट पावर देश में ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी पर दांव लगा रही है जबकि कोविड-19 व अन्य नियामकीय चुनौतियों के कारण कंपनी मुश्किलों का सामना कर चुकी है।

बिजली पारेषण कंपनी स्टरलाइट, वेदांत समूह का हिस्सा है और वह देश भर में पारेषण व वितरण में सुधार के लिए केंद्र सरकार की तरफ से दी जाने वाली संभावित परियोजनाओं पर नजर रखे हुए है।

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निजी कंपनियों के दी जाने वाली बिजली पारेषण परियोजनाओं में 26 फीसदी बाजार हिस्सेदारी रखने वाली स्टरलाइट ने सेबी के पास विवरणिका का मसौदा जमा कराया है। बिजली पारेषण के अलावा स्टरलाइट बिजली क्षेत्र के उपकरणों मसलन हाई पावर कंडक्टर्स, एक्सट्रा हाई वोल्टेज केबल्स व ऑप्टिकल ग्राउंड वायर भी बनाती है।

जून तक उपलब्ध ताजा आंकड़ों के मुताबिक, टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये निजी कंपनियों को देने के लिए 59 पार्ेषण परियोजनाओं की पहचान की गई है। इनमें से 31 या तो चालू हैं या फिर चालू किए जाने के लिए तैयार हैं। जबकि 24 निर्माणाधीन हैं या आंशिक तौर पर चालू हैं।

स्टरलाइट ने डीआरएचपी में कहा है, इंटर-स्टेट परियोजनाओं के साथ स्टेट सेक्टर की तरफ से भी पारेषण में निवेश होगा, जो आगामी बिजली परियोजनाओं के लिए सहायक ट्रांसमिशन सिस्टम के निर्माण के जरिए आगे बढ़ेगा।

महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्य पारेषण के क्षेत्र में खासा निवेश देख सकते हैं।

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स्टरलाइट को अक अन्य मौका अक्षय ऊर्जा परियोजना को नैशनल ग्रिड से जोडऩे में दिख रहा है। केंद्र सरकार की योजना 66 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा पारेषण स्कीम पेश करने की है।

इन परियोजनाओं पर अनुमानित लागत 43,235 करोड़ रुपये की होगी। मई में बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में स्टरलाइट पावर के प्रबंध निदेशक प्रतीक अग्रवाल ने कहा था, कंपनी का करीब 80-90 फीसदी प्रोजेक्ट भारत में है।

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