गौतम अडानी, उनका भतीजा सागर अडानी और अडानी समूह से जुड़े 6 अन्य अधिकारियों के खिलाफ निम्नलिखित आरोप लगाए गए हैं:
1. ‘भारत की सरकारी संस्थाओं’ (राज्य बिजली वितरण कंपनियों) के साथ अत्यधिक लाभ वाले सौर ऊर्जा आपूर्ति ठेके मिलना सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देना या रिश्वत देने की पेशकश करना।
2. अडानी समूह की कंपनी की रिश्वत विरोधी प्रथाओं (न खाया हूँ, न खाऊँगा) को अमेरिका स्थित निवेशकों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के सामने गलत तरीके से पेश करने की साजिश करना।
3. निवेशकों, नियामकों और जांचकर्ताओं से भारतीय सरकारी अधिकारियों की रिश्वतखोरी को छुपाना
4. रिश्वतखोरी की अमेरिकी सरकार द्वारा की जा रही जांच में बाधा डालना और दस्तावेजों और डिजिटल बातचीत के सबूतों को नष्ट करना
अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय के मुताबिक सरकारी स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) अडानी और एज़्योर के साथ अनुबंधित कीमतों पर बिजली के लिए खरीदार तलाशने में नाकाम रही। इसलिए अडानी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 2021 और 2022 में कई बार विभिन्न सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें SECI के साथ बिजली बिक्री समझौता करने के लिए रिश्वत की पेशकश की।
न्यूयॉर्क की एक अदालत में दायर आपराधिक आरोपों के अलावा, एक अलग सिविल मुकदमे में, अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग-SEC (हमारे सेबी जैसा) ने गौतम अडानी, सागर अडानी और एज़्योर पावर के एक अधिकारी पर “संघीय प्रतिभूति कानूनों के धोखाधड़ी-रोधी प्रावधानों का उल्लंघन करने” का आरोप लगाया। SEC ने अपने बयान में कहा कि गौतम और सागर अडानी ने अमेरिकी निवेशकों को अडानी ग्रीन बॉन्ड खरीदने के लिए प्रेरित किया, लेकिन उन्हें गलत जानकारी दी कि उनकी कंपनी के पास एक मजबूत रिश्वत-रोधी अनुपालन कार्यक्रम है, और कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन ने रिश्वत नहीं दी है और न ही देने का वादा किया है।
सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय सौर ऊर्जा निगम को आठ गीगावाट सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए एक टेंडर हासिल करने वाली अडानी ग्रीन एनर्जी, 4 गीगावाट सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए एक ● निविदा हासिल करने वाली एज़्योर पावर के अधिकारी और कनाडाई सार्वजनिक पेंशन निधि प्रबंधक सीडीपीक्यू के पूर्व अधिकारी, जो एज़्योर पावर में एक निवेशक है, को भी मामले में नामित किया गया था।
एफबीआई का दावा है कि उसने सागर अडानी को मार्च, 2023 में एक नोटिस और सर्च वारंट दिया था, जिसके बाद उसने डिजिटल डिवाइस और अन्य आपत्तिजनक सबूत अपने कब्जे में ले लिए थे। एजेंसी का दावा है कि गौतम अडानी को उनके भतीजे ने तुरंत एफबीआई की छापेमारी के बारे में सूचित कर दिया था और उन्होंने सर्च वारंट के हर पन्ने की फोटो खींचकर उन्हें भेज दी थी। संक्षेप में कहें तो, गौतम अडानी को मार्च, 2023 में ही चल रही जांच के बारे में पता चल गया था। फिर भी उन्होंने इस तथ्य को सेबी के साथ ही भारत और विदेश में अपने निवेशकों से छिपाया।
एफबीआई ने आरोप लगाए हैं कि:
- गौतम अडानी निजी तौर पर खुद आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकारी से अगस्त से नवंबर 2021 के बीच तीन बार मिले। इस अधिकारी का नाम सामने नहीं आया है और न ही उन्हें वादा माफ गवाह के तौर पर दिखाया गया है। बताया गया है कि इस अधिकारी को 1,750 करोड़ रुपए की रिश्वत पेश की गई।
- 25 अप्रैल, 2022 को गौतम अडानी दिल्ली में कंपनी के अधिकारोयं केस थ मिलने वाले थे, लेकिन उसी दिन अमेरिका आधारित संस्था ने भारत और मारीशस स्थित अपने दो अधिकारियों से इस्तीफा ले लिया। इसके बाद गौतम अडानी ने इस कंपनी के नए अधिकारियों के साथ मुलाकात की कोशिश की।
- कथित तौर पर यह मुलाकात 29 अप्रैल को अहमदाबाद में हुई जिसमें आरोप है कि गौतम अडानी ने बताया कि किन अधिकारियों को कितनी रिश्वत देने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। बताया जाता है कि गौतम अडानी ने खुद कहा कि अमेरिकी और भारतीय रेगुलेटर से कैसे इस जानकारी को छिपाया जा सकता और सुझाव दिया कि कैसे अमेरिकी संस्था अडानी ग्रीन एनर्जी को 4 जीगावॉट बिजली स्पलाई करने का टेंडर ट्रांसफर कर सकती है, किस तरह अडानी समूह को एक फीस देकर सारी देनदारी हासिल कर सकती है और कैसे पैसे को ट्रांसफर किया जा सकता है।
कंपनी के एक अधिकारी रूपेश अग्रवाल ने कथित तौर पर इस बाबत एक पॉवरप्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया और एक्सेल शीट की मदद से समझाया कि ये सब कैसे किया जा सकता है।
रोचक तौर पर मार्च 2024 में भारत सरकार के स्वामित्व वाले SECI ने अमेरिकी संस्था को लिखित तौर पर समझौता रद्द होने की औपचारिक सूचना दी थी।
source : navjivan