तैयार माल को तेजी से उसके गंतव्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी की शुरुआत की गई है। इस दौरान पीएम मोदी ने इस नई नीति को देश में उत्पादन से जुड़े सभी क्षेत्रों को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया। साथ ही यह विकसित भारत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने आगे कहा कि अंतिम छोर तक तैयार माल को पहुंचाने में परिवहन से संबंधित बाधाएं दूर हो, उद्योगों का समय और पैसा दोनों बचे, इन विषयों पर आठ साल के सघन विचार-विमर्श के बाद यह नई नीति तैयार हुई है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत एक बड़े उत्पादन केंद्र के रूप में उभर रहा है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान का असर सर्वत्र दिखाई दे रहा है। देश में निर्यात के बड़े लक्ष्य तय किये हैं और वह उन्हें पूरा भी कर रहा है।
नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी
केंद्र सरकार ने 2020 में बजट पेश करते समय नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी लाने का ऐलान किया था। दरअसल, तैयार माल को अंतिम छोर तक पहुंचाने में परिवहन से संबंधित बाधाएं दूर हों, उद्योगों का समय और पैसा दोनों बचें इन विषयों पर आठ साल के सघन विचार-विमर्श के बाद यह नई नीति तैयार हुई है। नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी का सीधा मतलब माल ढुलाई की लागत में कमी लाने से है। यह नीति देश में सामान की निर्बाध आवाजाही को बढ़ावा और इसकी लागत को कम करके आर्थिक विकास को नई गति प्रदान करेगी।
दरअसल, नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि भारत में अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लॉजिस्टिक्स खर्च बहुत अधिक है। घरेलू और निर्यात, दोनों बाजारों में भारतीय सामानों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना अनिवार्य है। कम लॉजिस्टिक्स खर्च से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता सुधरती है, मूल्यवर्धन और उद्योग को प्रोत्साहन मिलता है।
क्यों पड़ी जरूरत
2014 के बाद से सरकार ने कारोबार सुगमता और ईज ऑफ लिविंग दोनों को बेहतर करने पर काफी जोर दिया है। नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी एक विषय से दूसरे, एक क्षेत्र से दूसरे और बहु-क्षेत्राधिकार ढांचे को निर्धारित कर ज्यादा लागत और अक्षमता के मुद्दों के समाधान के लिए एक व्यापक प्रयास है। पूरे इकोसिस्टम के विकास की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति भारतीय सामानों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार, आर्थिक विकास को बढ़ाने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने का एक प्रयास है।
सभी योजना और उनके कार्यान्वयन में सभी हितधारकों के सहयोग से विश्वस्तरीय आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास पीएम का विजन रहा है। इससे परियोजना के लागू होने में दक्षता और तालमेल बना रहेगा। पिछले साल पीएम द्वारा शुरू की गई पीएम गतिशक्ति- मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान, इस दिशा में एक अग्रणी कदम था। नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी के शुभारंभ के साथ पीएम गतिशक्ति को और बढ़ावा मिलेगा।
लॉजिस्टिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए तकनीक जरूरी
लॉजिस्टिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए तकनीक अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए पीएम ने कहा कि सरकार ने ई-संचित के माध्यम से पेपरलेस एग्जिम व्यापार प्रक्रिया, कस्टम्स में फेसलेस कर निर्धारण, ई-वे बिल का प्रावधान, फास्टैग आदि ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की क्षमता काफी बढ़ा दी है। उन्होंने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र से संबंधित मामलों को सुगम बनाने में जीएसटी जैसी एकीकृत कर प्रणाली के महत्व को भी समझाया। ड्रोन नीति में बदलाव और इसे पीएलआई योजना से जोड़ने से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने विस्तार से बताया, ‘इतना सब कुछ करने के बाद ही हम राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति लेकर आए हैं।’ प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, ‘हम सभी को मिलकर लॉजिस्टिक लागत वर्तमान में 13-14 फीसदी से घटाकर एक अंक में लाने का लक्ष्य रखना चाहिए। अगर हमें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना है तो ये एक प्रकार से सबसे आसान काम है।’
परिवहन संबंधित सभी डिजिटल सेवाओं को पोर्टल
यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप) परिवहन क्षेत्र से संबंधित सभी डिजिटल सेवाओं को एक ही पोर्टल पर लाएगा, जिससे निर्यातकों को लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं से मुक्त किया जा सकेगा। इसी तरह नीति के तहत एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म ईज ऑफ लॉजिस्टिक्स सर्विसेज- ई लॉग्स भी शुरू किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से उद्योग संघ ऐसे किसी भी मामले को सरकारी एजेंसियों के समक्ष उठा सकते हैं, जिसमें उनके संचालन और प्रदर्शन में समस्या आ रही है। ऐसे मामलों के तेजी से समाधान के लिए पूरी व्यवस्था की गई है।’
लॉजिस्टिक्स कनेक्टिविटी में सुधार की पहल
लॉजिस्टिक्स कनेक्टिविटी में सुधार करने के लिए सागरमाला, भारतमाला जैसी योजनाएं लागू की गई, समर्पित माल ढुलाई गलियारे के काम में अभूतपूर्व तेजी लाने का प्रयास किया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय बंदरगाहों की कुल क्षमता में काफी वृद्धि हुई है, कंटेनर जहाजों का औसत टर्नअराउंड 44 घंटे से घटकर 26 घंटे पर आ गया है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 40 एयर कार्गो टर्मिनलों का निर्माण किया गया है। 30 हवाई अड्डों पर कोल्ड स्टोरेज की सुविधा मुहैया कराई गई है। देशभर में 35 मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब भी बनाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘जलमार्ग के जरिए हम पर्यावरण के अनुकूल और कम खर्च में परिवहन कर सकते हैं, इसके लिए देश में कई नए जलमार्ग भी बन रहे हैं।’ उन्होंने कोरोना काल के दौरान किसान रेल और किसान उड़ान के प्रयोग का भी जिक्र किया। आज 60 हवाई अड्डों पर कृषि उड़ान की सुविधा उपलब्ध है।
लॉजिस्टिक सेक्टर के नए लक्ष्य
लॉजिस्टिक सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए 2030 तक वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने का लक्ष्य है। इस पॉलिसी के बाद अभी तो लाजिस्टिक्स कॉस्ट करीब 14% है, वो 9-10% करने का है। इसके साथ ही 2030 तक रसद प्रदर्शन सूचकांक रैंकिंग में शीर्ष 25 देशों में शामिल हो जाएगा। डेटा आधारित निर्णय सपोर्ट सपोर्ट तंत्र तैयार किया जाएगा। इसके अलावा डिजिटल मैपिंग के माध्यम से लॉजिस्टिक्स पार्कों का नेटवर्क तैयार किया जाएगा। लॉजिस्टिक्स पार्कों निजी निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा।
अर्थव्यवस्था पर होगा सकारात्मक प्रभाव
गौरतलब हो कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर में आने वाली एक बड़ी चुनौती को भी केंद्र सरकार ने बीते वर्षों में समाप्त कर दिया। पीएम मोदी ने बताया कि पहले अलग-अलग राज्यों में अनेक टैक्स होने के कारण लॉजिस्टिक्स की रफ्तार पर जगह-जगह ब्रेक लग जाता था। लेकिन GST ने इस मुश्किल को आसान कर दिया है। इसके कारण अनेक प्रकार के पेपरवर्क कम हुए, जिससे लॉजिस्टिक्स की प्रक्रिया आसान हुई है। इसके अलावा कोविड महामारी के करीब दो वर्ष के बाद अर्थव्यवस्था में और गति लाने के लिए यह पॉलिसी मदद करेगी। आपूर्ति श्रृंखला के बीच आने वाली बाधाओं को दूर करेगी और ईंधन लागत तथा लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए रूपरेखा देगी। इसका सबसे बड़ा फायदा कारोबारियों को मिलेगा। इससे माल ढुलाई की लागत में कमी आएगी और उत्पादों के बेतहाशा दाम बढ़ने पर भी लगाम लगेगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
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