BMS नेता सुरेन्द्र पाण्डेय ने CIL को क्यों कहा मुनाफाखोर प्रबंधन, ठीक ठाक वेतन समझौता नहीं हुआ तो उठाएंगे शस्त्र!

श्री पाण्डेय ने industrialpunch.com से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सार्वजिनक प्रतिष्ठानों या सरकारी कंपनियों का उद्देश्य वेलफेयर पहले होना चाहिए। इनके गठन का भी मकसद यही था। वर्तमान का कोल इंडिया लिमिटेड प्रबंधन को मुनाफा पहले दिख रहा है।

नई दिल्ली, 11 मई। भारतीय मजदूर संघ (BMS) के वरिष्ठ नेता और जेबीसीसीआई सदस्य सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय ने कोल इंडिया (CIL) प्रबंधन को मुनाफाखोर करार दिया है।

श्री पाण्डेय ने industrialpunch.com से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सार्वजिनक प्रतिष्ठानों या सरकारी कंपनियों का उद्देश्य वेलफेयर पहले होना चाहिए। इनके गठन का भी मकसद यही था। वर्तमान का कोल इंडिया लिमिटेड प्रबंधन को मुनाफा पहले दिख रहा है।

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दरअसल सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय ने यह बात कोयला कामगारों के वेतन समझौते के संदर्भ में कही। उन्होंने कहा कि एमजीबी को लेकर यूनियन द्वारा की गई डिमांड पर प्रबंधन ईसीएल जैसी कंपनियों के घाटे को पकड़कर बैठ जाता है। ईसीएल तो वर्षों से घाटे में है। प्रबंधन एमसीएल जैसी कंपनियों को हो रहा फायदा नहीं देखता है। एमजीबी के गुणाभाग का आधार एमसीएल जैसी कंपनियां होनी चाहिए। लगता है प्रबंधन एमजीबी के विषय को समझ नहीं पा रहा है।

श्री पाण्डेय ने कहा कि पिछला वेतन समझौता 20 प्रतिशत पर हुआ था। 11वां वेतन समझौता होगा तो 20 फीसदी से कहीं अधिक पर ही होगा। हमारी मांग 50 प्रतिशत एमजीबी की है। यदि प्रबंधन सम्मानजनक समझौता के लिए नहीं मानता है तो यूनियन को शस्त्र (हड़ताल) उठाना पड़ेगा।

बीएमएस नेता ने वेतन समझौते को लेकर अन्य पीएसयू में हुए वेतन समझौतों से तुलना करने को उचित नहीं माना। उन्होंने कहा कि कोयला उद्योग के काम का नेचर अलग है। किसी अन्य उद्योग से इसकी तुलना नहीं की जा सकती।

कोयले का दाम बढ़ाने की जोरदार वकालत

सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय ने कोयले का दाम बढ़ाने की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के पास कोयले की कीमत निर्धारण का पूरा अधिकार है, लेकिन सरकार के दबाव में प्रबंधन इस पर निर्णय नहीं ले रहा है। जबकि सीआईएल चेयरमैन भी सार्वजनिक तौर पर कोयले का दाम बढ़ाने को लेकर बयान दे चुके हैं। बिजली कंपनियों को पांच साल पुराने दाम पर ही कोयले की सप्लाई हो रही है। सीआईएल प्रबंधन रेट को दबा कर बैठा हुआ है।

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श्री पाण्डेय ने कहा कि कोयले का दाम बढ़ाने से वेतन समझौता भी अच्छे से हो सकेगा। सीआईएल और अनुषांगिक कंपनियों में ढाई लाख से ज्यादा कामगार नियोजित हैं। एक बड़ी रकम वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं में खर्च होती है। कोयले का रेट बढ़ेगा तो सीआईएल के पास पूंजी भी आएगी।

बीएमएस नेता ने कहा कि रेट बढ़ाने में सरकार सबसे बड़ा रोड़ा है। सरकार को यह डर है कि कोयले के दाम बढ़ा देंगे तो बिजली कंपनियां भी यही काम करेंगी। बिजली के दाम बढ़ने का सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। बीएमएस बीते कई वर्षों से कोयले का दाम बढ़ाने की बात करता आ रहा है।

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