नई दिल्ली, 25 जनवरी। देश के कोयला कामगारों की नजर डीपीई की ओर है। दरअसल DPE (Department of Public Enterprises) की स्वीकृति मिलने पर ही जेबीसीसीआई की 8वीं बैठक में तय हुआ 19 फीसदी एमजीबी लागू होगा। इस बीच एमएचएस के वरिष्ठ नेता और जेबीसीसीआई सदस्य नाथूलाल पांडेय ने डीपीई में एमजीबी के मामले को लेकर बड़ी बात कही है।
श्री पांडेय ने industrialpunch.com से चर्चा करते हुए उम्मीद जताई कि कुछ दिक्क्तें हैं बावजूद इसके डीपीई अपनी स्वीकृति प्रदान कर देगा। उन्होंने बताया कि कोल इंडिया के चेयरमैन ने भी यही बात कही है। एचएमएस नेता ने कहा कि जेबीसीसीआई की 8वीं बैठक के बाद कोयला मंत्रालय ने भी अपनी सहमति दी और डीपीई को छूट के लिए प्रस्ताव भेजा है। डीपीई कोल मिनिस्ट्री से बड़ा नहीं है।
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कोयला मंत्रालय ने यह बयान जारी किया था
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और चार केंद्रीय ट्रेड यूनियनों बीएमएस, एचएमएस, एआईटीयूसी और सीटू ने 3 जनवरी 2023 को वेतन वार्ता पर गतिरोध को समाप्त करते हुए एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें मौजूदा राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता- XI (NCWA- XI) के तहत इसके 2.38 लाख गैर-कार्यकारी कर्मचारियों को 19% न्यूनतम गारंटीड लाभ (एमजीबी) देने की सिफारिश की गई है।
19% एमजीबी दरअसल 30 जून, 2021 को देय वेतन-भत्तों पर दिया जाना है जिनमें मूल वेतन, परिवर्तनीय महंगाई भत्ता, विशेष महंगाई भत्ता और उपस्थिति बोनस शामिल हैं।
तेलंगाना स्थित सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली अन्य कंपनी है। सरकार के स्वामित्व वाली इन दोनों ही कोयला कंपनियों सीआईएल और एससीसीएल के कुल लगभग 2.82 लाख कर्मचारी, जो कि 1 जुलाई, 2021 को कंपनी के रोल पर थे यानी वहां कार्यरत थे, इसके लाभार्थी होंगे। एससीसीएल के कर्मचारियों की संख्या लगभग 44,000 है।
3 जनवरी को कोलकाता में सीआईएल के कॉरपोरेट मुख्यालय में आयोजित कोयला उद्योग- XI के लिए संयुक्त द्विपक्षीय समिति की आठवीं बैठक में यह सिफारिश की गई थी।
एनसीडब्ल्यूए के ग्यारहवें संस्करण के लिए एक औपचारिक समझौते, जो कि 1 जुलाई, 2021 से पांच साल की अवधि के लिए प्रभावी होगा, को एमजीबी के अलावा अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा।
चार केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) ने ‘एमजीबी’ को सौहार्दपूर्ण तरीके से अंतिम रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई है। सीआईएल के औद्योगिक संबंध सौहार्दपूर्ण रहे हैं और यूनियनें भी चालू वित्त वर्ष के उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने की अहमियत से पूरी तरह अवगत हैं।