वन्य जीव संरक्षण संशोधन विधेयक-2022 आज संसद से पारित हो गया। राज्य सभा ने आज इसपर अपनी मुहर लगाई जबकि लोकसभा से यह पहले ही पारित हो चुका था।
विधेयक का उददेश्य वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन-सीआईटीसी को लागू करना और इसके द्वारा संरक्षित संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची का विस्तार करना है। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और वन्यजीवों के संरक्षण पर जोर दिया।
श्री यादव ने कहा कि देश का वन क्षेत्र लगातार बढ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच जहां देश में दो लाख 26 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक के वन क्षेत्र का उपयोग दूसरे कार्यो के लिए किया गया वहीं 2014 से 2022 के बीच केवल एक लाख 30 हजार वन क्षेत्र का ही ऐसा इस्तेमाल हुआ। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के प्रयासों की वजह से ही देश के हरित क्षेत्र का विस्तार हुआ है।
इस विधेयक में केंद्र सरकार को एक ऐसा प्राधिकरण बनाने का अधिकार दिया जा रहा है, जो संरक्षित प्रजातियों के निर्यात या आयात के लिए लाइसेंस प्रदान कर सकेगा। इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए, भारतीय जनता पार्टी के राकेश सिन्हा ने कहा कि इसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना, तस्करी रोकना और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि 2014 से देश के वन क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है।
विधेयक का समर्थन करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा समय की मांग है। उन्होंने मानवों और पशुओं के बीच बढ़ती संघर्ष की घटनाओं पर चिंता जताई। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि इससे संकटापन्न कई प्रजातियों का सरंक्षण सुनश्चित हो सकेगा। तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव, कांग्रेस के कुमार केतकर और अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।