नई दिल्ली, 04 अप्रेल। देश के सबसे बड़े श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (BMS) का 20वां त्रैवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन 7, 8, 9 अप्रेल को पटना में होने जा रहा है। इस अधिवेशन में संघ की नई कार्यकारिणी की भी घोषणा की जाएगी। सांगठनिक फेरबदल के तहत उद्योग प्रभारी भी बदले जा सकते हैं।
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भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारी जोर- शोर से चल रही है। बताया गया है कि इस अधिवेशन में देशभर से संगठित और असंगठित क्षेत्र से ढाई हजार प्रतिनिधि जुटेंगे। अधिवेशन के अंतिम दिवस 9 अप्रेल को नई कार्यकारिणी का ऐलान किया जाएगा। उद्योग प्रभारी भी बदले जा सकते हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कोल सेक्टर के प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी की भी छुट्टी हो सकती है।
यहां बताना होगा कि अक्टूबर 2020 में डा. बसंत राय के स्थान पर के. लक्ष्मा रेड्डी को कोल प्रभारी का दायित्व सौंपा गया था। जबकि डा. बसंत राय एक प्रभावी श्रमिक नेता थे। कोयला कामगारों और कोल सेक्टर के हितों को लेकर वे मुखर थे। डा. राय ने केन्द्र सरकार की कमॅर्शियल माइनिंग की नीति की जोरदार मुखालफत की थी। इसको लेकर उन्होंने मोर्चा खोल दिया था। श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर भी वे आवाज उठा रहे थे। यह वजह थी की उन्हें कोल प्रभारी के पद से हटा दिया गया।
डा. राय के मुकाबले लक्ष्मा रेड्डी मुखर नहीं हैं। श्री रेड्डी की नीति केन्द्र सरकार और कोयला मंत्रालय के खिलाफ नहीं जाने की रही है। उनके नरम रूख का खामियाजा अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ को उठाना पड़ रहा है। के. लक्ष्मा रेड्डी कई आरोपों से भी घिरे रहे हैं। बीएमएस के पूर्व महामंत्री बिनय सिन्हा ने तो इसको लेकर श्री रेड्डी को लिखित में हिदायत भी दी थी। बताया जा रहा है कि श्री रेड्डी कोल प्रभारी के पद से हटाए जाते हैं तो इसमें एज फैक्टर भी एक कारण होगा।
दूसरी यह भी खबरें निकलकर आ रही हैं कि के. लक्ष्मा रेड्डी कोल प्रभारी के पद पर बने रहने के लिए लॉबिंग भी कर रहे हैं। बताया गया है कि श्री रेड्डी आरएसएस के बीएमएस प्रभारी के करीबी लोगों में से हैं। उन्हें सरकार और उसकी नीतियों को लेकर सॉफ्ट बने रहने का लाभ मिल भी सकता है।
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बहरहाल यह तो 9 अप्रेल को ही पता चलेगा कि भारतीय मजदूर संघ के सांगठनिक फेरबदल में किसकी कुर्सी जाती है और किसकी बची रहती है।