पंजाब में बादलों की सरपरस्ती वाला शिरोमणि अकाली दल आजकल इन आरोपों से घिरा हुआ है कि केंद्रीय सत्ता के लालच में वह मोदी सरकार द्वारा राज्यों के अधिकार कुचलने की कवायद को अनदेखा कर रहा है। जबकि अकाली दल और इसके सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल संघीय ढांचे के प्रबल पैरोकार रहे हैं। संघीय ढांचे को आहत करने वाले केंद्र सरकार के तीन कृषि अध्यादेश आए तो अकाली दल का रवैया ‘कभी इधर-कभी उधर’ वाला रहा। बादल बाप-बेटा केंद्र की खुली आलोचना से इसलिए भी बचते हैं कि हरसिमरत कौर बादल मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं।

अब केंद्र सरकार नया बिजली संशोधन विधेयक ला रही है और पंजाब में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), वामपंथी दल और तमाम किसान संगठन इसका खुला विरोध कर रहे हैं। यह विधेयक भी राज्यों के संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों को कुचलने वाला है। अब जब समूचा पंजाब मोदी सरकार के नए और आने वाले अध्यादेशों का जबरदस्त विरोध कर रहा है तो शिरोमणि अकाली दल ने बाकायदा पत्र लिखकर प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक का विरोध किया है।

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजे विशेष पत्र में लिखा है कि वह केंद्रीय बिजली मंत्री को प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक-2020 को आगे न बढ़ाने और निरस्त करने का आदेश दें। क्योंकि यह विधेयक राज्यों के संघीय अधिकारों के खिलाफ है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सुखबीर ने कहा कि प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक-2020 सार्वजनिक चिंता की बड़ी वजह बन गया है। यदि यह विधेयक पारित और लागू हो जाता है तो समाज के विभिन्न वर्गों को रियायती बिजली या मुफ्त बिजली देने वाली कई कल्याणकारी योजनाएं बुरी तरह प्रभावित होंगीं।

यह पहली बार है कि जब शिरोमणि अकाली दल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतनी कड़ी चिट्ठी लिखी है। हालांकि बादल परिवार और शिरोमणि अकाली दल इन सवालों से कन्नी कतराता है कि मोदी सरकार एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रही है जो राज्यों के अधिकारों पर कुठाराघात हैं और पंजाब के लिए भी कुछ ज्यादा नागवार हैं, तो ऐसे में हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय काबिना में क्यों बनी हुई हैं
दो दिन पहले प्रकाश सिंह बादल के खासमखास रहे और शिरोमणि अकाली दल के संस्थापकों में से एक, सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा ने नए अकाली दल का गठन किया है। ढींडसा का सारा जोर इस पर है कि सत्ता के मोह में बादल परिवार पंजाब के हितों का सौदा कर रहा है। कांग्रेस पहले से ही इस बाबत बादलों पर हमलावर है। दरअसल, ढींडसा एक विकल्प के तौर पर भी सामने आए हैं और बीजेपी आलाकमान के कतिपय नेता उन्हें अपने अगले साझीदार के तौर पर देख रहे हैं।
साफ है कि पिछले कुछ दिनों से बादलों की सरपरस्ती वाले शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के बीच रिश्ते सहज नहीं हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि केंद्र और बीजेपी को तीखे तेवर दिखाना शिरोमणि अकाली दल की मजबूरी है। बेशक एक ‘मजबूरी’ हरसिमरत कौर बादल का मंत्री पद बरकरार रखना भी है!
source : NavJivan
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