नई दिल्ली। क्या दिल्ली पुलिस भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रवेश सिंह वर्मा को बचा रही है? क्या वह जानबूझ कर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि वर्मा के पुराने और भड़काऊ तस्वीर के साथ किए गए ट्वीट को दिल्ली पुलिस गलत तो मानती है, पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने से साफ इनकार कर रही है। दिल्ली पुलिस ने बस इतना किया है कि उन्हें आगाह करते हुए कहा है कि वह भविष्य में किसी तसवीर को ट्वीट करने से पहले उसकी सचाई की जाँच कर लें।
मामला क्या है?
हम आपको बताते हैं कि मामला क्या है। बीते 4-5 दिनों से सोशल मीडिया पर एक ट्वीट वायरल है। दिल्ली के बीजेपी सासंद प्रवेश सिंह वर्मा के इस ट्वीट के साथ एक तसवीर लगी है, जिसमें बड़ी तादाद में लोग नमाज पढ़ते हुए दिख रहे हैं। उसके साथ ट्वीट किया गया है, श्क्या कोई धर्म कोरोना वायरस महामारी के दौरान इस तरह के काम की अनुमति देता है? लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है।
इसी ट्वीट में आगे कहा गया है, अरविंद केजरीवाल ने जिन मौलवियों का वेतन बढ़ा दिया है, उनका वेतन काट लिया जाय तो यह सब अपने आप रुक जाएगा। या आपने दिल्ली को बर्बाद करने की कसम खा रखी है?
अफवाह फैलाने के लिए?
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने इस वीडियो को पुराना, बदनीयती से भरा और अफवाह फैलाने के लिए ट्वीट किया गया बताया है।
डीसीपी, पूर्वी दिल्ली ने कहा, श्यह पूरी तरह झूठ है। बदनीयती से अफवाह फैलाने के लिए इस पुराने वीडियो का इस्तेमाल किया जा रहा है। कृपया अफवाह फैलाने और पोस्ट करने के पहले सचाई की जाँच कर लें।
आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, श्बीजेपी नेताओं को इस पर शर्म आनी चाहिए कि वे लोग ऐसे नाजुक समय में नफरत और अफवाह फैला रहे हैं।
वर्मा ने ट्वीट करने से इनकार नहीं किया है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, किसी ने मुझे ट्वीट भेजा। जब मुझे इसकी सचाई का पता चला, मैंने वह ट्वीट डिलीट कर दी।
दिल्ली विधानसभा चुनावों के समय चुनाव आयोग ने वर्मा पर चुनाव प्रचार करने से रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा था कि जो लोग शाहीन बाग में धरने पर बैठे हैं, वे वहां से निकल कर लोगों के घरों में घुस कर बलात्कार करेंगे। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आतंकवादी करार दिया था।
वर्मा ने केजरीवाल को आतंकवादी कहने को सही ठहराते हुए एनडीटीवी से कहा, ‘अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को देशद्रोही कहते हैं तो उन्हें आतंकवादी कहा जा सकता है। अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के समर्थन में खड़े होते हैं तो उन्हें आतंकवादी कहा जा सकत है। अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री देश की सेना द्वारा दुश्मन मुल्क में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में सवाल उठा सकते हैं तो उन्हें आतंकवादी कहा जा सकता है।’