नेटो के महासचिव जेन्‍स स्‍टोलटेनबर्ग ने कहा है कि अफगानिस्तान से सेनाओं की वापसी जोखिम मुक्‍त फैसला नहीं है लेकिन बढ़ती तालिबान हिंसा को रोकने के लिए बिना किसी तय सीमा तक सेना की मौजूदगी होना एक विकल्‍प है। उन्‍होंने कहा कि यह एक आसान फैसला नहीं है और इसमें जोखिम है।

श्री स्‍टोलटेनबर्ग कल अमरीका के विदेश मंत्री एंटनी ब्‍लिंकेन और रक्षामंत्री लॉयड ऑस्‍टिन के साथ संयुक्‍त संवाददाता सम्‍मेलन में बोल रहे थे। श्री ऑस्‍टिन ने कहा कि अमरीका, अफगानिस्‍तान से सैनिकों की वापसी के दौरान अमरीकी तथा गठबंधन देशों के बलों पर किसी तालिबान हमले का करारा जवाब देगा। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान में अब भी काफी हिंसा हो रही है और तालिबान पिछले बीस वर्षों में अफगानिस्‍तान में हुए विकास को पलटने की कोशिश कर सकता है।

विदेश मंत्री ब्‍लिंकेन ने अपनी टिप्‍पणी में कहा कि अमरीका, सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्‍तान का समर्थन जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है और वह विशेष आव्रजन वीज़ा कार्यक्रम के अंतर्गत शरण लेने वालों के लिए विशेष वीज़ा का प्रावधान करेगा। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान से अमरीकी सैनिकों की वापसी से वहां पर विकास, मानवीय सहायता और सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता समाप्‍त नहीं होगी।

इससे पहले, अमरीका के राष्‍ट्रपति जो-बाइडेन ने घोषणा की थी अमरीका पहली मई तक अफगानिस्‍तान से अपने ढ़ाई हजार सैनिकों को वापस बुला लेगा और उम्‍मीद है कि ग्‍यारह सितम्‍बर तक सभी सैनिकों की वापसी हो जायेगी।

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