वाशिंगटन। अमेरिका में निर्वतमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग में घुसकर फसाद किया, जिसमें एक महिला की जान चली गई, जबकि कई अन्य जख्मी हो गए। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ट्रंप समर्थक उस वक्त कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए, जब वहां कांग्रेस के दोनों सदनों में चर्चा चल रही थी और जो बाइडन की चुनावी जीत की औपचारिक तौर पर पुष्टि की जानी थी। प्रदर्शकारियों के पास से कुछ बंदूकें भी जब्त की गई है, जिससे जाहिर होता है कि भीड़ किस कदर उन्मादी और हिंसक थी।
हिंसा ट्रंप के उस भाषण के बाद भड़क उठी, जिसमें उन्होंने 3 नवंबर, 2020 को संपन्न राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर धांधली के दावे किए। उनके इस दावे के कुछ ही घंटों बाद भीड़ समर्थक यूएस कैपिटल में एकत्र हो गए और बिल्डिंग की सीढ़ियों पर कब्जा कर लिया। वे अंदर की तरफ बढ़ रहे थे, जब सुरक्षा बलों की उनसे झड़प भी हुई। अमेरिका के बीते 300 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार बताया जा रहा है, जब चुनाव में हारने वाले किसी राष्ट्रपति ने अपनी हार मानने से इनकार कर दिया हो और उनके समर्थक हिंसक होकर यूएस कैपिटल को घेर लें।
क्या है यूएस कैपिटल?
यूएस कैपिटल वॉशिंगटन डीसी में है, जहां अमेरिकी कांग्रेस यानी वहां की संसद के सदस्य बैठते हैं। भारत के संदर्भ में इसकी तुलना संसद भवन से की जा सकती है। अमेरिका में द्विसदनीय व्यवस्था है, जिनमें से एक हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स यानी प्रतिनिधि सभा और दूसरी सीनेट है। अमेरिकी कांग्रेस की प्रतिनिधि सभा और सीनेट के चुने हुए जनप्रतिनिधि यहां बैठते हैं। सभी प्रमुख निर्णयों पर अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी आवश्यक होती है। बुधवार को भी वही हो रहा था जब 3 नवंबर, 2020 को हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत पर मुहर लगनी थी।
कांग्रेस का सत्र चल रहा था, जब कई रिपब्लिकन सांसदों ने भी वोट की गिनती रोक देने की धमकी दी। इस बीच ट्रंप समर्थक कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए और उग्र भीड़ बेकाबू हो गई। अमेरिकी कांग्रेस में इलेक्टोरल कॉलेज की गिनती रोक देनी पड़ी। सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी मुश्किल से उस बैलेट बॉक्स को कैपिटल बिल्डिंग से बाहर निकाला, जिसमें 14 दिसंबर को सर्टिफिकेट भेजे गए थे। इन्हें 6 जनवरी को कांग्रेस में लाया गया था। अमेरिकी संसद को बंधक बनाने की इस घटना को बड़े विद्रोह के तौर पर देखा जा रहा है। ट्रंप समर्थक राष्ट्रपति के उस भाषण के बाद उग्र हो गए थे, जिसमें उन्होंने कहा कि चुनावों में धांधली हुई है और वह हार नहीं मानेंगे।