दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागररूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि विश्व के हर एक व्यक्ति बढ़ती जनसंख्या की ओर ध्यान दे और जनसंख्या को रोकने में अपनी भूमिका निभाए। बढ़ती जनसंख्या विश्व के कई देशों के सामने बड़ी समस्या का रूप ले चुकी है। खासकर विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर चिंता का विषय है। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मानवाधिकार और मातृत्व स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी जाती है।
11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद द्वारा हुई थी। उस समय विश्व की जनसंख्या लगभग 500 करोड़ थी। तब से प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला जाता है और साथ ही लोगों को जनसंख्या पर नियंत्रण रखने के लिए जागरूक किया जाता है।
इस दिवस को पहली बार 11 जुलाई 1990 को 90 से अधिक देशों में चिह्नित किया गया था। तब से कई देश के कार्यालयों, अन्य संगठनों और संस्थानों ने सरकारों और नागरिक समाज के साथ साझेदारी में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया। विश्व जनसंख्या दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनमें जनसंख्या वृद्धि की वजह से होने वाले खतरों के प्रति लोगों को आगाह किया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस पर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न समाजिक कार्यक्रमों व सभाओं का संचालन, प्रतियोगिताओं का आयोजन, रोड शो, नुक्कड़ नाटक अन्य कई तरीके शामिल हैं। वर्तमान में चीन और भारत दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं।
इस बार की थीम
इस वर्ष का विषय विशेष रूप से कोरोना महामारी के समय में दुनियाभर में महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा पर आधारित है। काम पर जाने वाली महिलाएं अक्सर असुरक्षित माहौल में काम करती हैं। श्रम बाजार में भी प्राय: महिलाओं की सुरक्षा के उपायों को खास तवज्जो नहीं दी जाती। यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी महिलाएं इसके आर्थिक प्रभावों से बहुत प्रभावित हुई हैं। दुनियाभर में लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं अपने श्रम के माध्यम से अनौपचारिक रूप से अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं, ऐसे में उन पर पड़े आर्थिक प्रभाव की वजह से गरीबी के और बढ़ने का अधिक खतरा है।
वर्तमान में सबसे तेज गति से जनसंख्या वृद्धि करने वाला देश नाइजीरिया है, जिसके वर्ष 2050 तक अमेरिका को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचने की संभावना है। दुनियाभर में बुजुर्गों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 1950 में बुजुर्गों से कहीं ज्यादा संख्या में युवा थे।
आज विश्व जनसंख्या दिवस के दिन हम आपको जनसंख्या से जुड़े कुछ तथ्य बताने जा रहे हैं…
- यूएन ने अनुमान लगाया है कि 2023 तक पूरी दुनिया की आबादी 8 अरब से और 2056 तक 10 अरब अधिक हो जाएगी। विश्व के लिए ये चिंताजनक है।
- यूएन ने अनुमान लगाया है कि 2025-2030 के बीच में भारत जनसंख्या के मामले में चीन से आगे निकल जाएगा। इस बीच भारत की आबादी 1 अरब 65 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। इस बीच दुनिया की आबादी 8 अरब 14 करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
- विश्व की आधी आबादी दुनिया के सिर्फ 9 देशों में रहती है। आपको बता दें यूएन का अनुमान है कि 2017 से 2050 तक भारत, नाइजीरिया, कांगो का लोकतांत्रिक गणराज्य, पाकिस्तान, इथियोपिया, संयुक्त राज्य अमेरिका तंजानिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, युगांडा और इंडोनेशिया में जनसंख्या वृद्धि दर बढ़ेगी। इस अनुमान के अनुसार अफ्रीका की आबादी 2050 तक दोगुनी हो जाएगी।
- इस समय सबसे तेज जनसंख्या वृद्धि दर नाइजीरिया की है। ऐसा माना जा रहा है कि 2050 से पहले नाइजीरिया की जनसंख्या अमेरिका से अधिक हो जाएगी।
- इस समय सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश चीन है। चीन के बाद भारत का नंबर आता है। भारत के बाद तीसरे पायदान पर अमेरिका है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय विश्व की कुल जनसंख्या 777 करोड़ है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार अगले तीस सालों में भारत की जनसंख्या में 27.3 करोड़ की वृद्धि हो सकती है। यानी कि 2050 में भारत की कुल जनसंख्या 164 करोड़ हो सकती है।