रोम। कोरोना वायरस का प्रकोप पूरे यूरोप में भयंकर तौर पर देखा जा रहा है। इससे यूरोप के कई देश बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इटली जहां इसके मरीजों की संख्या 86,498 तक पहुंच गई है वहीं स्पेन में इसके मरीजों की संख्या 72248 है। इटली में जहां 9134 लोगों की मौत हो चुकी हैं वहीं स्पेन में इसकी वजह से 5812 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। समूचे यूरोप में इटली इससे सबसे अधिक प्रभावित है। अमेरिका की बात करें तो वहां पर अब तक इसके 105726 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 1730 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 2538 मरीज ठीक भी हुए हैं। पूरी दुनिया की बात करें तो अब तक इसके कुल 622157 मामले सामने आ चुके हैं। 28799 लोगों की मौत हो चुकी है और 137364 मरीज ठीक भी हुए हैं।
पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस वायरस की काट खोजने में लगे हुए हैं। अमेरिका में इसके टीके का परीक्षण चल रहा है लेकिन यदि वो इसमें सफल भी हुए तो इसका टीका दुनिया में आने में एक साल का समय तक लग सकता है। ऐसे में बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। पूरी दुनिया में इसको लेकर प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है। कुछ जगहों पर जहां इसको कड़ाई से पालन किया जा रहा है तो कुछ जगहों पर इसको लेकर लोग लापरवाह बने हुए हैं। इसी वजह से वहां पर मरीजों की तादाद बेतहाशा बढ़ रही है। इसका जीता जागता सुबूत अमेरिका और इटली है। अमेरिका में लोग प्रशासन के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इटली में पूरी तरह से लॉकडाउन है। इसके बाद भी वहां पर मरीजों की तादाद बढ़ती ही जा रही है।
लाइव सांइस डॉटकॉम के मुताबिक 21 फरवरी को उस समय यह शहर दुनियाभर में सुर्खियों में आ गया जब यहां पर एक व्यक्ति की कोरोना वायरस की चपेट में आने से मौत हो गई। इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जैसे ही इसे एक क्लस्टर इंफेक्शन बताया था। इसके बाद यहां के प्रशासन ने तुरंत फैसला लेते हुए 23 फरवरी को खुद को क्वारंटाइन करने का निर्णय लिया।
इसके बाद यहां रहने वाले करीब 97 फीसद लोगों की जांच की गई। इससे पहले समूचे इटली में इस तरह का फैसला कहीं नहीं लिया गया था। इस जांच में केवल 3 फीसद लोग ही कोरोना वायरस से संक्रमित निकले। प्रशासन की तरफ से इन सभी को घर में ही आवश्वयक रूप से कैद कर दिया गया। इसके अलावा गंभीर रूप से बीमार मरीजों को तुंरत अस्पताल में भर्ती कराया गया। इतना ही नहीं ये वायरस न फैल सके इसके लिए इसके अलावा जो लोग इस बीमारी से संक्रमित नहीं थे उन्हें भी अनिवार्य रूप से घर में रहने की हिदायत दी गई और लगातार सभी की जांच भी की जाती रही।
प्रशासन की ये तरकीब काम कर गई। 6 और 8 मार्च को जब यहां पर मरीजों और अन्य लोगों की दोबरा जांच हुई तो केवल 1 प्रतिशत लोगों को ही कोरोना पॉजीटिव पाया गया। क्वारंटाइन की ये प्रक्रिया तब तक चलती रही जब तक इसका आखिरी मरीज भी ठीक नहीं हो गया। आखिरकार 23 मार्च तक इसका प्रसार पूरी तरह से रुक गया। अच्छी खबर ये है कि अब यहां पर इस वायरस से संक्रमित कोई मरीज नहीं है।
यहां से आई अच्छी खबर के बाद हर कोई कड़ाई से क्वारंटाइन का पालन करने की बात कर रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ पाडुओ के माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर एंड्रिया क्रिसतानी के मुताबिक वो से हम सभी को सीखना होगा कि इस वायरस से संक्रमित मरीजों को अलग रखना और हर किसी की नियमित जांच से ही इसपर काबू पाया जा सकता है।
source : Jagran