आगरा। कोरोना माहमारी ने इस कदर लोगों को अपने वस में करके रखा है जिससे मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्यौहार कहे जाने वाले ईद के दिन भी हर जगह ख़ामोशी ही दिखी। वहीं दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल में 372 साल में पहली बार ईद के दिन भी बंद रहा। सोमवार को ताज की शाही मस्जिद में ईद की नमाज अदा करने के लिए बाहर से कोई नहीं आया। कोरोना संकट के कारण ताजमहल 17 मार्च को बंद कर दिया गया था। लॉकडाउन लागू होने के कारण तब से लगातार बंद हैं।
सआदत अली ने बताया कि ताजमहल में ईद की नमाज खास होती थी। दूर-दूर से लोग आते थे। इस बार मसला कोरोना का है। लोगों का इससे बचाव जरूरी है। लोगों ने घरों में ही ईद की नमाज अदा की। हमने कोरोना से मुल्क के लोगों के बचाव की दुआ की है।
हर साल 20 से 25 हजार लोग अदा करते थे नमाज
हर बार ईद पर 20 से 25 हजार लोग ताजमहल पर ही नमाज अदा करते थे और इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सुबह 7 से 10 बजे तक ताजमहल में नि:शुल्क प्रवेश की सुविधा देता था। सोमवार को ईद की नमाज के लिए ताजमहल नहीं खुला। बता दें कि पूरे परिसर में केवल सीआईएसएफ के सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी ही रही। ताज के तामीर होने के बाद 372 साल में यह पहला मौका है जब ईद पर ताज सूना रहा।
युद्ध के समय भी सूना नहीं रहा ताज
ताजमहल में लंबे समय वरिष्ठ संरक्षक सहायक रहे पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. आरके दीक्षित ने बताया कि 1971 में भारत-पाक युद्ध और 1978 में बाढ़ के समय ताज के तीनों गेट बंद रखे गए थे। तब जुमे की नमाज इमाम और कर्मचारियों ने ही अदा की थी। उस दौर में भी ताज ऐसा सूना नहीं रहा जैसा कोरोना काल में हो गया।
कर्फ्यू के दौरान भी बाहर से आए थे लोग
ताजमहल की शाही मस्जिद के इमाम सआदत अली ने बताया कि वो 20 साल से नमाज अदा करा रहे हैं। उनसे पहले उनके वालिद थे। कर्फ्यू के दौरान भी जुमे की नमाज पढ़ी गई थी। ऐसा कभी पहले हुआ ही नहीं कि बाहर से कोई नमाज पढ़ने ताज के अंदर न आया हो।