नई दिल्ली। औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़ कर 5.91 प्रतिशत हो गई, जो कि सितंबर में 5.62 प्रतिशत थी। कुछ खाद्य उत्पादों की उच्च कीमतों के चलते पिछले महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई बढ़ी है। अच्छी बात ये है कि पिछले साल अक्टूबर की तुलना में ये महंगाई दर घटी है। पिछले साल अक्टूबर में औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 7.62 फीसदी रही थी। ताजा आंकड़े श्रम मंत्रालय ने एक बयान में दिए हैं। अक्टूबर में खाद्य महंगाई दर 8.21 फीसदी रही, जो कि सितंबर में 7.51 फीसदी रही थी। वहीं एक साल पहले इसी महीने (अक्टूबर 2019) के दौरान ये 8.60 फीसदी रही थी।

औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

अक्टूबर 2020 में औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्लू) 1.4 अंकों की वृद्धि के साथ 119.5 अंक पर रहा। एक महीने के अंदर (सितंबर से अक्टूबर में) इसमें (+)1.19 प्रतिशत का बदलाव आया। वहीं अक्टूबर 2019 के मुकाबले इसमें (+) 0.93 फीसदी का परिवर्तन आया। वर्तमान सूचकांक में अधिकतम बढ़त खाद्य और पेय सेगमेंट में देखी गई। इसमें (+)1.29 प्रतिशत का बदलाव आया।

किन चीजों पर महंगाई बढ़ी

अरहर की दाल, मुर्गी (चिकन), अंडे (मुर्गी), बकरी का मांस, सरसों का तेल, सूरजमुखी का तेल, बैगन, गोभी, गाजर, फूलगोभी, मिर्च हरी, लौकी, भिंडी, भिंडी, प्याज, मटर, आलू, बिजली घरेलू, डॉक्टर का शुल्क, बस किराया ने इंडेक्स को ऊपर चढ़ाया। हालांकि इस वृद्धि को गेहूं, मछली ताजा, टमाटर, सेब, आदि ने सीमित रखा, क्योंकि इन चीजों के दाम कम हुए।

क्या है सीपीआई-आईडब्लू की भूमिका

सीपीआई-आईडब्ल्यू सिंगल सबसे महत्वपूर्ण प्राइस आँकड़े हैं जिनके वित्तीय निहितार्थ (Financial Implications) हैं। यह मुख्य रूप से औद्योगिक क्षेत्रों में सरकारी कर्मचारियों और श्रमिकों के महंगाई भत्ते को विनियमित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग खुदरा कीमतों में मुद्रास्फीति को मापने के अलावा रोजगार में न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण और संशोधन में भी किया जाता है।

 

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