नई दिल्ली (IP News).  कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) में सचिव  राजेश वर्मा ने ‘कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग’ (बीआरआर) पर समिति की रिपोर्ट’ जारी की।

बीआरआर को डॉ. समीर शर्मा, महानिदेशक, आईआईसीए;  अमरजीत सिंह, कार्यकारी निदेशक, सेबी;  अतुल गुप्ता, अध्यक्ष, आईसीएआई:  आशीष गर्ग, अध्यक्ष, आईसीएसआई एवं  आर. मुकुंदन, सीईओ, टाटा केमिकल्स के अलावा सीआईआई, फिक्की एवं एसोचैम के प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों, कारोबारी जगत तथा सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में जारी किया गया।

एमसीए में सचिव राजेश वर्मा ने यह रिपोर्ट जारी करते हुए  इस तरह की एक सुदृढ़ रिपोर्टिंग रूपरेखा को प्रस्तावित करने के लिए समिति द्वारा किए गए अथक प्रयासों की सराहना की और कहा कि एमसीए इसके कार्यान्वयन के लिए सेबी के साथ मिलकर काम करेगा। उन्होंने इस तथ्य पर भी विशेष जोर दिया कि भारतीय कंपनियां वैश्विक स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की आकांक्षा रखती हैं, ऐसे में वे कॉरपोरेट गवर्नेंस यानी ‘उत्‍तरदायी कारोबार’ के उभरते रुझान को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं। उन्होंने प्रोफेशनल संस्थानों और व्यावसायिक संगठनों से अपने-अपने सदस्यों की बीआरएसआर और क्षमता निर्माण के लिए हिमायत या प्रतिपालन अभियान चलाने का भी आग्रह किया।

सेबी के कार्यकारी निदेशक अमरजीत सिंह ने विश्व स्तर पर पर्यावरणीय, सामाजिक और गवर्नेंस (ईएसजी) निवेश से जुड़े डेटा एवं रुझान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईएसजी निवेश के बढ़ते रुझान की बदौलत गैर-वित्तीय रिपोर्टिंग की मांग भी बढ़ रही है और इस संबंध में बीआरएसआर रूपरेखा सतत निवेश का माहौल तैयार करेगी।

‘उत्‍तरदायी कारोबार’ के क्षेत्र में हाल के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों की चर्चा करते हुए आईआईसीए के महानिदेशक  डॉ. समीर शर्मा ने कहा कि आईआईसीए इस पहल को आगे बढ़ा रहा है और अगस्त 2020 से ‘उत्तरदायी कारोबार संचालन (आरबीसी)’ पर एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर रहा है।

बीआरआर पर गठित समिति के अध्यक्ष के रूप में एमसीए में संयुक्त सचिव श्री ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने हितधारकों के लिए शेयरधारक के नजरिए से कंपनी परिचालन में आए व्‍यापक बदलाव और गैर-वित्तीय रिपोर्टिंग के विशेष महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने समिति की प्रमुख सिफारिशों को भी साझा किया और समिति के सदस्यों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।

समिति की रिपोर्ट कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की वेबसाइट यानी www.mca.gov.in पर उपलब्ध है।

पृष्ठभूमि

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय कंपनियों का ‘उत्तरदायी कारोबार संचालन’ सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तरह की पहल करता रहा है। कंपनी जवाबदेही की अवधारणा को मुख्य धारा में लाने की दिशा में पहले कदम के रूप में ‘कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व पर स्वैच्छिक दिशानिर्देश’ वर्ष 2009 में जारी किए गए थे। इसके पश्चात कारोबारी हस्तियों, शिक्षाविदों, सिविल सोसायटी संगठनों और सरकार के साथ व्यापक सलाहमशविरा के बाद ‘कंपनियों की सामाजिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक जवाबदेही पर राष्ट्रीय स्वैच्छिक दिशानिर्देश (एनवीजी), 2011’ के रूप में इन दिशानिर्देशों में संशोधन किए गए।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबीने वर्ष 2012 में अपने ‘सूचीबद्धता नियमनों’ के जरिए बाजार पूंजीकरण की दृष्टि से शीर्ष 100 सूचीबद्ध निकायों के लिए पर्यावरणीय, सामाजिक एवं गवर्नेंस संबंधी नजरिए से ‘कंपनी जवाबदेही रिपोर्ट (बीआरआर)’ पेश करना अनिवार्य कर दिया। इन बीआरआर ने कंपनियों को एनवीजी सिद्धांतों और संबंधित मुख्‍य तत्वों को अपनाए जाने का सही ढंग से प्रदर्शन करने में सक्षम किया, जिसका उद्देश्‍य कंपनियों को नियामकीय वित्तीय अनुपालन से परे जाकर अपने हितधारकों के साथ और भी अधिक सार्थक रूप से जोड़ना है। वित्त वर्ष 2015-16 में शीर्ष 500 कंपनियों के लिए और दिसंबर, 2019 में शीर्ष 1000 कंपनियों के लिए बीआरआर पेश करना अनिवार्य कर दिया गया।

वर्ष 2011 से ही कारोबार और मानवाधिकारों के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए मार्च 2019 में ‘एनवीजी’ को अपडेट किया गया है और एनजीआरबीसी (उत्तरदायी कारोबार संचालन पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश) के रूप में जारी किया गया, ताकि यूएनजीपी, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते, इत्‍यादि के साथ संरेखण या संयोजन को दर्शाया जा सके।

‘एनजीआरबीसी’ को अपडेट एवं तैयार करने के लिए कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए नए बीआरआर प्रारूपों को विकसित करने हेतु ‘कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग पर समिति’ का गठन किया था। समिति में एमसीए, सेबी, तीन प्रोफेशनल संस्थानों के प्रतिनिधि और दो प्रतिष्ठित प्रोफेशनल शामिल थे, जिन्होंने एनजीआरबीसी को विकसित करने पर काम किया था।

कारोबारियों एवं उनके संघों, प्रोफेशनल संस्थानों, शिक्षाविदों, सिविल सोसायटी संगठनों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी। अपनी रिपोर्ट में समिति ने गैर-वित्तीय मापदंडों पर रिपोर्टिंग के उद्देश्‍य और दायरे को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए ‘कंपनी जवाबदेही एवं निरंतरता रिपोर्ट (बीआरएसआर)’ नामक एक नई रिपोर्टिंग रूपरेखा की सिफारिश की। समिति ने खुलासा करने के लिए दो प्रारूपों की सिफारिश की: एक ‘व्यापक प्रारूप’ और दूसरा ‘सहज संस्करण’। समिति ने यह भी सिफारिश की कि रिपोर्टिंग आवश्यकताओं पर अमल क्रमिक और चरणबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि बीआरएसआर को एमसीए21 पोर्टल के साथ एकीकृत कर दिया जाए। एक दीर्घकालिक उपाय के रूप में समिति का मानना यह है कि बीआरएसआर फाइलिंग के माध्यम से प्राप्‍त होने वाली जानकारियों का उपयोग कंपनियों के लिए एक ‘कंपनी जवाबदेही-निरंतरता सूचकांक’ विकसित करने में किया जाना चाहिए।

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