नागपुर। कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि भारत सरकार अपनी सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) को और मजबूत बनाने एवं उसका विस्तार करने के लिए निरंतर कटिबद्ध है। इन्हीं प्रयासों के तहत कोल इंडिया का कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने हालही में कंपनी को 16 नए कोयला ब्लॉक आवंटित किए हैं। इस आवंटन के साथ कोल इंडिया के पास अब 463 कोयला ब्लॉक हो गए हैं और कंपनी का खनन योग्य कोयला रिजर्व बढ़कर 52,000 मिलियन टन (एमटी) हो गया है।
वित्तीय वर्ष 2018-19 में कोल इंडिया ने 606 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया था, जिसमें 488 मिलियन टन कोयले की सप्लाई तापीय बिजली उत्पादन के लिए की गई थी। देश की तापीय बिजली की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, कोल इंडिया के पास उपलब्ध खनन योग्य कोयला भंडार से देश की आगामी 100 वर्षों से अधिक तक की तापीय बिजली बनाई जा सकती है।
पत्रकारों से बात करते हुए श्री जोशी ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर कोल इंडिया को और भी कोयला ब्लॉकआवंटित किए जाने सहित हर संभव सहायता की जाएगी। कोयला क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग शुरू होने से कोल इंडिया के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि भविष्य में भी देश की बढ़ती हुई ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी कोयला आपूर्ति करने का मुख्य स्रोत कोल इंडिया ही बनी रहेगी। कोल इंडिया को वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1000 मिलियन टन यानी 01 बिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य दिया गया है।
श्री जोशी ने कहा कि देश को विकास के पथ पर और भी तेजी से आगे बढ़ाने के लिए आगामी 30-40 वर्षों में बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए कोयले की मांग भी बढ़ेगी। कमर्शियल माइनिंग का उद्देश्य इसी बढ़ी हुई मांग को पूरा करना और कोयला आयात पर देश की निर्भरता को कम करना है।
गौरतलब है कि कोल इंडिया विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है। कोल इंडिया अकेले भारत का लगभग 82ः कोयला उत्पादन करती है। कोयला खनन की लागत काम करने, उत्पादकता बढ़ाने एवं खनिकों की कार्य सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए कोल इंडिया तेजी से अपनी खदानों में नवीनतम तकनीक से युक्त मशीनों का प्रयोग बढ़ा रही है।